पुरी में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़े हजारों श्रद्धालु

पुरी में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़े हजारों श्रद्धालु

पुरी में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़े हजारों श्रद्धालु
Modified Date: June 30, 2025 / 11:51 am IST
Published Date: June 30, 2025 11:51 am IST

पुरी (ओडिशा), 30 जून (भाषा) पुरी के श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुई भगदड़ में तीन लोगों की मौत और 50 अन्य के घायल होने के एक दिन बाद सोमवार को हजारों श्रद्धालु भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए उमड़ पड़े।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रविवार की घटना के मद्देनजर श्री गुंडिचा मंदिर के सामने अवरोधक लगा दिए गए हैं और मंदिर के अंदर स्थित ‘अडापा मंडप’ (वह मंच जहां देवता बैठते हैं) में देवताओं के सुचारू दर्शन के लिए अलग-अलग कतारें बनाई गई हैं।

मंदिर प्रशासन ने बताया कि श्री गुंडिचा मंदिर में देवताओं के प्रवेश के बाद कई निर्धारित अनुष्ठानों के कारण सोमवार रात को ‘पाहुड़ा’ (देवताओं के विश्राम के लिए मंदिर के द्वार बंद करना) नहीं किया गया।

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मंदिर के एक अधिकारी ने बताया, ‘सोमवार को सुबह सात बजकर 40 मिनट पर मंगल आरती की गई और हजारों श्रद्धालुओं ने बिना किसी परेशानी के इस अनुष्ठान में भाग लिया।’

उन्होंने बताया कि भगवान को लगभग 20 दिनों के बाद चूल्हे की आग मे पकाया हुआ प्रसाद अर्पित किया जाएगा।

श्री गुंडिचा मंदिर में देवताओं को अर्पित किए जाने वाले पके हुए भोजन को ‘आडापा मंडप प्रसाद’ कहा जाता है।

अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) स्तर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सौमेंद्र प्रियदर्शी ने कहा, ‘‘हम सतर्क हैं… भगवान की कृपा से सब कुछ सुचारू रूप से हो रहा है। श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के श्री गुंडिचा मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।’’

सौमेंद्र प्रियदर्शी को रथ यात्रा के दौरान पुलिस व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भगदड़ की घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने उन्हें यह कार्य सौंपा था।

श्रद्धालुओं का मानना ​​है कि यदि ‘अडापा मंडप’ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने उनके पाप धुल जाते हैं।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के दरवाजे रात नौ बजे से देर रात 2 बजे तक बंद रहेंगे, जिस दौरान ‘बनकालागी’ नामक अनुष्ठान किया जाएगा।

‘बनकालागी’ एक अनुष्ठान है जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके चेहरे की सजावट की जाती है।

‘बनकालागी’ को ‘श्रीमुख सिंगार नीति’ भी कहा जाता है।

अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा के पुरी में श्री गुंडिचा मंदिर के निकट रविवार तड़के रथ यात्रा उत्सव से संबंधित समारोह के दौरान मची भगदड़ में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी और लगभग 50 अन्य घायल हो गए।

उन्होंने बताया कि यह घटना रविवार तड़के लगभग चार बजकर 20 मिनट पर हुई जब हजारों श्रद्धालु रथ यात्रा उत्सव देखने के लिए मंदिर के निकट एकत्र हुए थे।

माझी ने भगवान जगन्नाथ के भक्तों से माफ़ी मांगी है और लोगों का भरोसा बहाल करने तथा रथ यात्रा के शेष अनुष्ठानों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल किया है।

इस बीच, पुरी के नवनियुक्त जिलाधिकारी चंचल राणा और पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने कार्यभार संभाल लिया है और वे रथ यात्रा महोत्सव की व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे हैं। रथ यात्रा महोत्सव 27 जून से शुरू हुआ है और आठ जुलाई तक जारी रहेगा।

भाषा योगेश मनीषा

मनीषा


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