‘आप’ सांसद राघव चड्ढा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बीच भारतीय सशस्त्र बलों का समर्थन किया

‘आप’ सांसद राघव चड्ढा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बीच भारतीय सशस्त्र बलों का समर्थन किया

‘आप’ सांसद राघव चड्ढा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बीच भारतीय सशस्त्र बलों का समर्थन किया
Modified Date: May 10, 2025 / 03:40 pm IST
Published Date: May 10, 2025 3:40 pm IST

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने भारतीय सशस्त्र बलों के समर्थन में एक बयान जारी किया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष के मद्देनजर आतंकवाद से लड़ने के लिए राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया।

चड्ढा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हम अपने दोस्त तो बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं और जब पड़ोसी पाकिस्तान जैसा हो, तो उसे कड़ी सजा देना हमारा कर्तव्य है। भारत न केवल पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहा है, बल्कि बर्बरता और आतंकवादी मानसिकता के खिलाफ भी लड़ रहा है।’’

चड्ढा ने भारतीय सेना की कार्रवाई की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘जिस तरह से भारतीय सशस्त्र बल लड़ रहे हैं, उससे यह निश्चित है कि इस बार आतंकवाद का खात्मा हो जाएगा। हमें बहादुर सैनिकों और उनके परिवारों के साथ खड़ा होना चाहिए।’’

 ⁠

उन्होंने एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘‘भारत केवल बुद्ध और गांधी का वंशज नहीं है, बल्कि भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद का भी वंशज है। हमें बस एकजुट रहने और अपने देश को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।’’

‘आप’ नेता ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किस धर्म, जाति या राजनीतिक दल से हैं; सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सभी भारतीय हैं।’’

अधिकारियों के अनुसार, गत सात मई को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सीमा पार पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया।

यह अभियान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई के तौर पर चलाया गया। पहलगाम हमले में 25 पर्यटकों समेत 26 लोग मारे गए थे।

हमले के बाद से तनाव बढ़ गया है और पाकिस्तानी सेना लगातार तीन दिन से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारी गोलाबारी कर रही है। इसके कारण बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपुरा जिलों में बड़े पैमाने पर लोगों को निकाला गया है तथा हजारों नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया है।

भाषा

देवेंद्र पारुल

पारुल


लेखक के बारे में