शिक्षा क्षेत्र में एआई ‘दोधारी तलवार’ की तरह, डेटा निजता सुनिश्चित करना जरूरी: शिक्षाविद

शिक्षा क्षेत्र में एआई 'दोधारी तलवार' की तरह, डेटा निजता सुनिश्चित करना जरूरी: शिक्षाविद

शिक्षा क्षेत्र में एआई ‘दोधारी तलवार’ की तरह, डेटा निजता सुनिश्चित करना जरूरी: शिक्षाविद
Modified Date: December 20, 2025 / 03:43 pm IST
Published Date: December 20, 2025 3:43 pm IST

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) शिक्षाविद शिशिर जयपुरिया ने कहा है कि कृत्रिम मेधा (एआई) शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ‘फोर्स मल्टीप्लायर’ (क्षमता बढ़ाने वाला) है, लेकिन धोखाधड़ी, डेटा चोरी और निजता के उल्लंघन के लिए एआई उपकरणों का अनैतिक इस्तेमाल चिंता का विषय है।

‘सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस’ के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि एआई मंच प्रत्येक बच्चे की सीखने की शैली समझने, सीखने की क्षमता में अंतर की पहचान करने और परिणामों में सुधार के लिए ताकत एवं कमजोरियों का पता लगाने में स्कूलों की मदद करते हैं।

उन्होंने कहा कि एआई के माध्यम से शिक्षक अपने नियमित कार्य कम समय में निपटा पा रहे हैं, जिससे उनकी उत्पादकता एवं दक्षता बढ़ रही है, साथ उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए अधिक समय मिल पा रहा है।

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हालांकि, जयपुरिया ने एआई के अनैतिक इस्तेमाल को लेकर गंभीर चिंताएं भी जाहिर कीं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन परीक्षाओं के दौरान नकल के लिए एआई का सहारा लिए जाने की घटनाएं सामने आई हैं।

जयपुरिया ने कहा कि स्कूलों को डेटा उल्लंघन रोकने और निजता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा घेरा विकसित करना होगा। उन्होंने शिक्षकों के लिए डिजिटल प्रशिक्षण पर भी जोर दिया, ताकि वे एआई की पूरी क्षमता का लाभ उठा सकें।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के बारे में जयपुरिया ने कहा कि एनईपी-2020 एक दूरदर्शी दस्तावेज है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में तेजी लाने की आवश्यकता है। उन्होंने देश भर में तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू करने और शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के छह प्रतिशत तक ले जाने जैसी चुनौतियों का भी जिक्र किया।

छात्र आत्महत्या की घटनाओं पर दुख जताते हुए जयपुरिया ने इसे एक सामाजिक और प्रणालीगत समस्या बताया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफल होने और शीर्ष ग्रेड हासिल करने की दौड़ में शिक्षा का मूल उद्देश्य पीछे छूट जाता है, जिससे शिक्षार्थियों पर प्रदर्शन का दबाव बढ़ जाता है।

जयपुरिया ने सुझाव दिया कि सफलता को केवल अंकों के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए और इसके लिए स्कूलों व अभिभावकों को मिलकर काम करने की जरूरत है।

समूह के विस्तार की योजनाओं के बारे में जयपुरिया ने बताया कि उनका लक्ष्य 2030 तक 50 स्कूलों का नेटवर्क तैयार करना है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तर भारत में समूह के 23 स्कूल संचालित किए जा रहे हैं और अब वह राजस्थान व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के नये क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

भाषा सुमित पारुल

पारुल


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