अन्नाद्रमुक के नेतृत्व का मामला: अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

अन्नाद्रमुक के नेतृत्व का मामला: अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया

अन्नाद्रमुक के नेतृत्व का मामला: अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:04 pm IST
Published Date: August 17, 2022 5:30 pm IST

चेन्नई, 17 अगस्त (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक से संबंधित मामले में 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का बुधवार को आदेश दिया और इस तरह उस बैठक को अवैध करार दिया था, जिसमें एडप्पाडी के. पलानीस्वामी को इसका प्रमुख चुना गया था।

अदालत के आदेश को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के लिए एक झटका माना जा रहा है, लेकिन उनके समर्थकों ने इस बात से इनकार किया और कहा कि विस्तृत आदेश पढ़ने के बाद ही तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है।

11 जुलाई की बैठक में पार्टी से ‘निष्कासित’ किए गए ओ पनीरसेल्वम ने कहा कि इस फैसले ने दिखा दिया है कि कोई भी किसी राजनीतिक दल पर ‘‘कब्जा’’ नहीं कर सकता और न्यायपालिका एवं भगवान इसकी अनुमति नहीं देंगे।

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तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की आम परिषद की 11 जुलाई को हुई बैठक में ओ पनीरसेल्वम एवं उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से ‘‘निष्कासित’’ कर दिया गया था और पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव बनाया गया था।

न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने बुधवार को 23 जून की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और इस तरह आम परिषद की 11 जुलाई की बैठक को अवैध घोषित कर दिया।

न्यायमूर्ति जयचंद्रन ने कहा कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक अकेले ही आम परिषद की बैठक बुलाएंगे। उन्होंने बैठक आयोजित करने के लिए एक पर्यवेक्षक के नामांकन का भी सुझाव दिया।

अदालत ने ओ पनीरसेल्वम और आम परिषद के सदस्य वैरामुथु द्वारा दायर दीवानी मुकदमों पर बुधवार को आदेश पारित किया।

बाद में पनीरसेल्वम के वकील ने कहा कि अदालत ने कहा है कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक के पद ‘‘समाप्त नहीं हुए हैं।’’ पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी पहले क्रमश: समन्वयक और संयुक्त समन्वयक थे।

पूर्व में दोनों नेताओं द्वारा संयुक्त रूप से बुलाई गई 23 जून की आम परिषद की बैठक में घोषणा की गई थी कि परिषद के सदस्यों की एकमात्र मांग पलानीस्वामी के पक्ष में पार्टी के लिए एकल नेतृत्व व्यवस्था पेश करना है। इसके बाद 11 जुलाई की आम परिषद की बैठक में पलानीस्वामी को इसका अंतरिम महासचिव चुना गया और पनीरसेल्वम एवं उनके कुछ सहयोगियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

पनीरसेल्वम ने अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने धर्म, न्यायपालिका, पार्टी कार्यकर्ताओं और उन लोगों पर भरोसा किया, जिन्हें ‘‘विश्वास है कि सत्य और धर्म उनके साथ हैं।’’

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘यह फैसला साबित करता है कि न्याय, धर्म, पार्टी कार्यकर्ता, लोग और विशेष रूप से सर्वशक्तिमान प्रभु यह स्वीकार नहीं करेंगे कि किसी राजनीतिक दल को बलपूर्वक हड़प लिया जाए।’’

पनीरसेल्वम ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन द्वारा बनाए गए पार्टी कानूनों का सम्मान नहीं किया, वे हार जाएंगे।

उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक अपनी एकता के बल पर अब लोहे का ऐसा किला बनेगी, जिसे तोड़ा नहीं जा सकेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अब उन 1.5 करोड़ पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर जाऊंगा, जो मानते हैं कि अम्मा (दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता) स्थायी महासचिव हैं।’’

इस बीच, पलानीस्वामी के धड़े ने इस बात पर जोर दिया कि यह आदेश पूर्व मुख्यमंत्री के लिए झटका नहीं है।

वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री के पी मुंसुसामी ने कहा कि पार्टी आलाकमान आज के आदेश की प्रति पढ़ने के बाद विस्तार से जवाब देगा।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि 23 जून और 11 जुलाई को आम परिषद की बैठकें उसी प्रकार की गई थीं, जिस प्रकार दिवंगत रामचंद्रन और जयललिता के समय में ये आयोजित की जाती थीं।

उन्होंने कहा कि दोनों बैठकों के दौरान मौजूद आम परिषद के सभी सदस्यों की ‘‘सर्वसम्मति से प्रस्तावों को पारित किया गया।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या अदालत का आदेश पलानीस्वामी के लिए झटका है, उन्होंने कहा, ‘‘ इसका सवाल ही नहीं उठता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आम परिषद के 2,600 सदस्य हैं, तो उनमें से 2,562 ने पलानीस्वामी को प्रमुख के रूप में स्वीकार कर लिया है। आम परिषद के सदस्य पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों द्वारा चुने जाते हैं और उनके पास सभी शक्तियां होती हैं।’’

मुंसुसामी ने कहा, ‘‘इन लोगों ने सर्वसम्मति से (अंतरिम) महासचिव (पलानीस्वामी) को स्वीकार किया था।’

उन्होंने कहा कि अदालत के यथास्थिति के आदेश को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा और फिर तय किया जाएगा कि आगे क्या करना है।

पनीरसेल्वम के समर्थकों ने अदालत के आदेश के बाद पटाखे जलाकर जश्न मनाया।

भाषा सिम्मी माधव

माधव


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