Ajay Kumar Bhalla: पूर्व IAS अजय कुमार भल्ला बने इस राज्य के के 22वें राज्यपाल.. चीफ जस्टिस ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ

अजय कुमार भल्ला ने नगालैंड के 22वें राज्यपाल के रूप में ली शपथ

Ajay Kumar Bhalla: पूर्व IAS अजय कुमार भल्ला बने इस राज्य के के 22वें राज्यपाल.. चीफ जस्टिस ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ

Ajay Kumar Bhalla || Image- Rajbhavan kohima file

Modified Date: August 25, 2025 / 02:29 pm IST
Published Date: August 25, 2025 2:23 pm IST
HIGHLIGHTS
  • अजय कुमार भल्ला ने नागालैंड के राज्यपाल पद की शपथ ली।
  • सीओआरआरपी समिति ने समारोह का बहिष्कार किया।
  • शपथ समारोह में मुख्यमंत्री नीफियू रियो भी हुए शामिल।

Ajay Kumar Bhalla: कोहिमा: मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सोमवार को यहां राजभवन में आयोजित एक समारोह में नागालैंड के 22वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। राज्यपाल ला गणेशन के निधन के बाद भल्ला को नागालैंड के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार ने भल्ला को पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में नगालैंड के मुख्यमंत्री नीफियू रियो, उपमुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और वाई पैटन, कई राज्य मंत्री, विधायक, वरिष्ठ नौकरशाह और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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राजभवन में जुटे दिग्गज नेता और लोग

शपथ ग्रहण के बाद भल्ला ने यहां राजभवन में रियो के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल के साथ पहली बातचीत की। उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के अंतर्गत औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का भी निरीक्षण किया। मुख्य सचिव सेंतियांगर इमचेन की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का समापन राजभवन में एक समारोह के साथ हुआ जहां राजनीतिक नेताओं, जनजातीय निकायों, चर्च प्रतिनिधियों और नागरिक समाज संगठनों ने राज्य के नए संवैधानिक प्रमुख को शुभकामनाएं दीं।

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सीओआरआरपी ने किया बहिष्कार

नगालैंड की 17 प्रमुख जनजातियों में से एओ, अंगामी, लोथा, रेंगमा और सुमी जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘आरक्षण नीति की समीक्षा (सीओआरआरपी) समिति’ के सदस्यों ने समारोह का बहिष्कार किया। पांच जनजातियों का यह पैनल राज्य में पिछड़ी जनजातियों के लिए चार दशक से अधिक पुरानी, रोजगार आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए दबाव बना रहा है। सरकार ने मांग स्वीकार कर ली है और आरक्षण समीक्षा आयोग के गठन की घोषणा भी की है लेकिन समिति ने इसे अस्वीकार कर दिया। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि आयोग में जनजातीय निकायों और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए। पैनल ने घोषणा की कि जब तक उसकी मांग पूरी नहीं हो जाती, वह किसी सरकारी कार्य का हिस्सा नहीं बनेंगे। पांचों जनजातियों ने इस महीने स्वतंत्रता दिवस समारोह का भी बहिष्कार किया था।

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