एंजेल के परिजनों ने उसके हत्यारों के लिए कठोरतम सजा की मांग की

एंजेल के परिजनों ने उसके हत्यारों के लिए कठोरतम सजा की मांग की

एंजेल के परिजनों ने उसके हत्यारों के लिए कठोरतम सजा की मांग की
Modified Date: December 30, 2025 / 04:33 pm IST
Published Date: December 30, 2025 4:33 pm IST

अगरतला, 30 दिसंबर (भाषा) त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा (24) के परिजनों ने उसकी हत्या में शामिल सभी आरोपियों के लिए मृत्युदंड या कम से कम आजीवन कारावास के सजा की मांग की है।

देहरादून के एक निजी विश्वविद्यालय में एमबीए अंतिम वर्ष के छात्र एंजेल चकमा पर नौ दिसंबर को कुछ युवकों ने चाकू से कथित तौर पर हमला किया था। सत्रह दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद चकमा की 26 दिसंबर को मृत्यु हो गई थी। उनाकोटी जिले के मचमारा का रहने वाला एंजेल अगरतला के होली क्रॉस स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीए करने के लिए देहरादून गया था।

एंजेल के मामा मोमेन चकमा ने कहा, ‘हमारा एंजेल अब कभी नहीं लौटेगा, लेकिन उसका परिवार इस जघन्य हत्या में शामिल लोगों के लिए मौत की सजा या कम से कम आजीवन कारावास चाहता है। एंजेल ने बार-बार कहा था कि वह एक भारतीय है, लेकिन हमलावरों ने बेरहमी से उसकी पीठ में दो बार चाकू मारा और उसकी गर्दन तोड़ दी, जिसके कारण 17 दिनों तक जीवन के लिए संघर्ष करने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।’

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उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह ऐसे कदम उठाए जिससे पूर्वोत्तर के लोगों को नस्लीय घृणा का सामना न करना पड़े।

मोमेन ने कहा, ‘मचमारा के लोग जाति और धर्म की परवाह किए बिना मंगलवार को एंजेल की याद में मोमबत्ती मार्च निकालेंगे और उसके परिवार के लिए न्याय की मांग करेंगे।’

मोमेन ने ‘पीटीआई भाषा’ को फोन पर बताया, ‘एंजेल अपने अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा के बाद एक कंपनी में नौकरी की शुरुआत करने वाला था। उसने पहले वर्ष में 80 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, जिसके कारण ‘प्लेसमेंट’ के जरिये यह प्रस्ताव मिला था।’

मोमेन ने बताया कि एंजेल ने अपने पिता तरुण प्रसाद चकमा (मणिपुर में तैनात बीएसएफ जवान) से कहा था कि उसे नौकरी मिलते ही वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लें।

घटना के तुरंत बाद देहरादून पहुंचे मोमेन ने कहा, ’26 दिसंबर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने परिवार के एक सम्मानजनक जीवन जीने के सपने को पूरी तरह से चकनाचूर कर दिया है।’

उन्होंने कहा, ‘एंजेल का परिवार इस घटना से पूरी तरह टूट चुका है। पिता और छोटा बेटा दोनों एक हफ्ते तक स्थानीय बौद्ध मंदिर में ‘सारेमा’ (बौद्ध धर्म में मृत्यु के बाद की एक अनिवार्य अनुष्ठान) कर रहे हैं। उसकी मां गौरी मति चकमा भी पूरी तरह सदमे में हैं।’

मोमेन ने कहा कि एंजेल का परिवार अनिश्चितता की ओर बढ़ रहा है क्योंकि उसके पिता ने भारी कर्ज लेकर अगरतला के बाहरी इलाके नंदननगर में एक नया घर खरीदा था।

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा एंजेल ने देहरादून से एमबीए करने के लिए शिक्षा ऋण लिया था। हम सभी जानते हैं कि देहरादून में ऐसा कोर्स करना महंगा होता है। अब सब कुछ बर्बाद हो गया है।’

एंजेल की अंतिम इच्छा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वह नेपाल में हिमपात देखने जाना चाहता था।

राज्य सरकार में अभियंता मोमेन ने कहा, ‘उसने नेपाल यात्रा की तैयारी के तहत विशेष जूते मंगवाए थे। ये जूते आ गए हैं, लेकिन एंजेल इन्हें देख भी नहीं पाया क्योंकि तब तक वह आईसीयू में भर्ती हो चुका था। मैं उसकी अधूरी और आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए ये जूते लेकर नेपाल जाऊंगा।’

भाषा

शुभम पवनेश

पवनेश


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