थलसेना के विशेष बल, नौसेना के मरीन कमांडो ने सिक्किम में बेहद ऊंचाई पर किया अभ्यास

थलसेना के विशेष बल, नौसेना के मरीन कमांडो ने सिक्किम में बेहद ऊंचाई पर किया अभ्यास

थलसेना के विशेष बल, नौसेना के मरीन कमांडो ने सिक्किम में बेहद ऊंचाई पर किया अभ्यास
Modified Date: September 8, 2025 / 06:37 pm IST
Published Date: September 8, 2025 6:37 pm IST

कोलकाता, आठ सितंबर (भाषा) भारतीय थलसेना की पैरा स्पेशल फोर्स और नौसेना के मरीन कमांडो मार्कोस ने सिक्किम में 17,000 फुट की ऊंचाई पर सर्द वातावरण में एक सप्ताह तक संयुक्त स्कूबा और लड़ाकू गोताखोरी अभ्यास किया। एक रक्षा अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस प्रकार के अभ्यास से सेनाओं के बीच तालमेल में वृद्धि होती है, विशेष युद्ध कौशल में निखार आता है तथा यह सुनिश्चित होता है कि भारत की सेनाएं हिमालय से लेकर समुद्र तक विविध भूभागों में मिशन के लिए तैयार रहें।

अधिकारी ने कहा कि बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्र में प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने ‘ओपन सर्किट एयर डाइविंग’, ‘क्लोज सर्किट प्योर ऑक्सीजन डाइविंग’, सर्द पानी की स्थिति में 17 मीटर की गहराई तक गोता लगाया तथा ‘कॉम्बैट नाइट डाइविंग’ की।

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उन्होंने कहा, ‘‘बेहद ऊंचाई वाले वातावरण ने असाधारण चुनौतियां पैदा कीं, अभियानगत तैयारियों को मजबूत किया और लड़ाकू गोताखोरी क्षमता की सीमाओं का विस्तार किया।’’

अधिकारी ने बयान में कहा कि 30 अगस्त से पांच सितंबर के बीच दुर्गम इलाकों और सर्द पानी के बीच आयोजित इस अभ्यास में भारतीय सेना के विशेष बल और भारतीय नौसेना के विशिष्ट समुद्री कमांडो के असाधारण पेशेवर रवैये, अनुकूलनशीलता और साहस का प्रदर्शन किया गया।

उन्होंने जोर दिया कि इस तरह का प्रशिक्षण जवानों को भविष्य के युद्धक्षेत्रों के संबंध में तैयार करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बेहद ऊंचाई वाले हालात, बर्फीले पानी में सटीक कार्य करना और संयुक्त अभियानों में लड़ाकू गोताखोरी को एकीकृत करना लचीलापन और बहुमुखी प्रतिभा को मजबूत करता है।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए टीम कमांडर ने कहा, ‘‘इन चरम परिस्थितियों में प्रशिक्षण से जवानों की सहनशक्ति, कौशल और मानसिक शक्ति के हर पहलू का परीक्षण होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करता है कि जब भी आवश्यकता हो, हमारी टीम किसी भी वातावरण में प्रभावी ढंग से काम कर सकें, चाहे वह कितना भी कठिन या चुनौतीपूर्ण क्यों न हो।’’

भाषा आशीष नेत्रपाल

नेत्रपाल


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