कृत्रिम मेधा मनुष्य की स्वाभाविक रचनात्मकता का स्थान नहीं ले सकती : जावेद अख्तर

कृत्रिम मेधा मनुष्य की स्वाभाविक रचनात्मकता का स्थान नहीं ले सकती : जावेद अख्तर

कृत्रिम मेधा मनुष्य की स्वाभाविक रचनात्मकता का स्थान नहीं ले सकती : जावेद अख्तर
Modified Date: November 29, 2025 / 10:13 pm IST
Published Date: November 29, 2025 10:13 pm IST

भुवनेश्वर, 29 नवंबर (भाषा) प्रख्यात गीतकार एवं लेखक जावेद अख्तर ने शनिवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) मनुष्य की स्वाभाविक रचनात्मकता की जगह नहीं ले सकती।

अख्तर ने कहा कि कृत्रिम मेधा की सीमाएं हैं और यह डेटा पर निर्भर है।

अख्तर ने यहां एक साहित्यिक समारोह में कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि भविष्य में क्या होगा। लेकिन फिलहाल मुझे यकीन है कि एआई किसी भी तरह से मानव रचनात्मकता की जगह नहीं ले सकती। कृत्रिम मेधा तकनीक में कोई विवेक नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं।’’

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उन्होंने परमाणु ऊर्जा का उदाहरण देते हुए कहा कि इसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

अख्तर ने कहा, ‘‘इसमें (एआई में) संसाधन खराब नहीं हैं। अगर आप इतिहास में जाएं तो पाएंगे कि लोग सभी खोजों से डरते थे, यहां तक ​​कि भाप इंजन से भी, और इसे शैतान का वाहन बताते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल इसकी (एआई) सीमाएं हैं और यह डेटा पर निर्भर है। भविष्य में क्या होगा, यह अभी नहीं कहा जा सकता। फिलहाल मानवीय रचनात्मकता के लिए कोई चुनौती नहीं है।’’

अख्तर ने भाषा, संस्कृति, पौराणिक कथाओं, कविता और कला को महान संसाधन बताते हुए कहा कि जब भारत को आजादी मिली थी, तब देश एक सुई भी नहीं बना सकता था, लेकिन आज यह दुनिया के सबसे औद्योगिक देशों में से एक बन गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन भौतिक उपलब्धियों की चाह में, हमने कुछ चीजें प्लेटफार्म पर ही छोड़ दी हैं, यह सोचकर कि उनकी जरूरत नहीं है। कहीं न कहीं हम यह मानने लगे हैं कि हम अपनी सारी चीजें साथ नहीं रख सकते, और संस्कृति भी इसी में से एक है।’’

ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति द्वारा उद्घाटन किए गए साहित्यिक महोत्सव में अख्तर को सम्मानित किया गया और उन्हें प्रथम एसओए साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।

अख्तार को सम्मान स्वरूप एक प्रशस्ति पत्र, एक शॉल, देवी सरस्वती की एक रजत प्रतिमा और सात लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की गई। इस वर्ष स्थापित यह पुरस्कार किसी ऐसे प्रतिष्ठित साहित्यकार को प्रदान किया जाएगा, जिसका कार्य उत्कृष्टता, रचनात्मकता और बौद्धिक गहराई का उदाहरण हो।

राज्यपाल ने कवि, गीतकार और पटकथा लेखक के रूप में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रथम एसओए साहित्य सम्मान के लिए चुने जाने पर अख्तर को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अख्तर की रचनाओं ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक भारत की सांस्कृतिक चेतना को आकार दिया है, मानवीय भावनाओं को स्वर दिया है और भारतीय साहित्य एवं सिनेमा को समृद्ध किया।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश


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