असम की नीति विदेशियों को वापस भेजने की है, भले ही उनका नाम एनआरसी में हो: हिमंत

असम की नीति विदेशियों को वापस भेजने की है, भले ही उनका नाम एनआरसी में हो: हिमंत

असम की नीति विदेशियों को वापस भेजने की है, भले ही उनका नाम एनआरसी में हो: हिमंत
Modified Date: June 12, 2025 / 12:29 am IST
Published Date: June 12, 2025 12:29 am IST

गुवाहाटी, 11 जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार की मौजूदा नीति विदेशियों को वापस भेजने की है, भले ही उनका नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में हो।

शर्मा ने कहा कि असम में जिस तरह से एनआरसी में नाम शामिल किए गए हैं, उससे इसे लेकर संदेह की काफी गुंजाइश है और यह किसी व्यक्ति की नागरिकता तय करने के लिए एकमात्र दस्तावेज नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री ने दरांग में एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘‘कई लोगों ने अनुचित तरीकों का इस्तेमाल करके एनआरसी में अपना नाम दर्ज कराया है, इसलिए हमने यह नीति अपनाई है कि अगर प्राधिकारी पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि संबंधित व्यक्ति विदेशी है, तो उसे वापस भेज दिया जाएगा।’’

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पूरे असम में पिछले महीने से कई लोगों की नागरिकता पर संदेह होने के कारण उन्हें पकड़ा गया है और उनमें से कई लोगों को वापस बांग्लादेश भेज दिया गया है। इनमें से कुछ लोग पड़ोसी देश द्वारा उन्हें अपना नागरिक मानने से इनकार करने के बाद वापस लौट आए हैं।

शर्मा ने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से इस बात से सहमत नहीं हूं कि एनआरसी में नाम होना ही यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त है कि कोई व्यक्ति अवैध प्रवासी नहीं है।’’

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक हर्ष मंदर दो साल तक असम में रहे थे और उन्होंने राज्य के कुछ युवाओं को शिक्षा के लिए अमेरिका और इंग्लैंड भेजा था तथा उन्हें एनआरसी में हेरफेर करने के लिए प्रोत्साहित किया था।

शर्मा ने कहा, ‘‘हमें उस समय इन साजिशों के बारे में पता नहीं था। मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे इन मामलों का पता चला।’’

उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को 19 लोगों को वापस भेजा गया और बुधवार रात नौ अन्य लोगों को वापस भेजा जाएगा।

भाषा सिम्मी पारुल

पारुल


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