‘सनातनियों’ की संगति से बचें, आरएसएस और संघ परिवार से सावधान रहें: सिद्धरमैया

'सनातनियों' की संगति से बचें, आरएसएस और संघ परिवार से सावधान रहें: सिद्धरमैया

‘सनातनियों’ की संगति से बचें, आरएसएस और संघ परिवार से सावधान रहें: सिद्धरमैया
Modified Date: October 18, 2025 / 06:12 pm IST
Published Date: October 18, 2025 6:12 pm IST

मैसुरु, 18 अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को लोगों से ‘सनातनियों’ की संगति से बचने तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और संघ परिवार से सावधान रहने की अपील की।

सिद्धरमैया ने कहा कि आरएसएस और संघ परिवार ने ऐतिहासिक रूप से डॉ. भीम राव आंबेडकर और उनके द्वारा बनाये गए संविधान का विरोध किया है।

मैसूर विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन करने और नये ज्ञान दर्शन भवन का लोकार्पण करने के बाद सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘अपनी संगति ठीक रखें। उन लोगों से जुड़ें जो समाज के लिए खड़े हैं, न कि उन लोगों के साथ जो सामाजिक परिवर्तन का विरोध करते हैं या ‘सनातनियों’ के साथ हैं।’’

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हाल में प्रधान न्यायाधीश (बी.आर. गवई) की ओर जूता फेंके जाने की घटना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एक सनातनी द्वारा प्रधान न्यायाधीश की ओर जूता फेंकना यह दर्शाता है कि समाज में अब भी सनातनी और रूढ़िवादी तत्व मौजूद हैं। इस कृत्य की निंदा केवल दलितों को ही नहीं, बल्कि सभी को करनी चाहिए। तभी हम कह सकते हैं कि समाज बदलाव की राह पर आगे बढ़ रहा है।’’

सिद्धरमैया ने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस और संघ परिवार ने आंबेडकर के संविधान का विरोध किया था और अब भी कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया।

आंबेडकर को एक दूरदर्शी व्यक्ति बताते हुए सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘आंबेडकर ने समाज को समझने के लिए ज्ञान अर्जित किया और जीवन भर समाज को बदलने के लिए इसका उपयोग किया।’’

भाजपा और संघ परिवार पर आंबेडकर के नाम पर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे झूठ फैला रहे हैं कि कांग्रेस ने चुनावों में आंबेडकर को हराया। लेकिन सच्चाई वही है जो आंबेडकर ने खुद अपने हाथ से लिखा था — ‘सावरकर और डांगे ने मुझे हराया।’ संघ परिवार के झूठ को उजागर करने के लिए ऐसी सच्चाई को समाज के सामने रखा जाना चाहिए।’’

आंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के बारे में सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘मैंने इसकी स्थापना इसलिए की ताकि आंबेडकर पर अध्ययन करने वाले लोग उनके रास्ते पर चल सकें। आंबेडकर बेजोड़ हैं। दूसरे आंबेडकर कभी पैदा नहीं होंगे, लेकिन सभी को उनके आदर्शों का पालन करना चाहिए और उनके पदचिह्नों पर चलना चाहिए।’’

राष्ट्र के प्रति आंबेडकर के योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने विश्व के सभी संविधानों का अध्ययन किया और उन्हें आत्मसात किया तथा भारत को उसके समाज के लिए सर्वोत्तम संविधान दिया।’’

उन्होंने कहा कि वह बुद्ध, बासव (12वीं सदी के समाज सुधारक) और आंबेडकर के विचारों में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मुझे उम्मीद है कि तार्किकता और वैज्ञानिक सोच बढ़ेगी। ऐसा व्यक्ति मत बनो जो विज्ञान तो पढ़ता है लेकिन अंधविश्वास पर अमल करता है।’’

सिद्धरमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय के आंबेडकर अध्ययन केंद्र, जिसके 25 वर्ष पूरे हो गए हैं, और ‘विश्व ज्ञानी आंबेडकर सभा भवन’ के उद्घाटन की भी सराहना की और इसे ‘‘एक स्वागत योग्य कदम’’ बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘असमान अवसरों ने असमानता पैदा की है। शिक्षा किसी की पैतृक संपत्ति नहीं है। लोगों को अवसर की आवश्यकता है। अवसर मिलने पर, वे विद्वान और बुद्धिजीवी बन सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आंबेडकर एक महान दूरदर्शी थे जिन्होंने अपने ज्ञान का उपयोग सामाजिक परिवर्तन के लिए किया।’’

भाषा सुभाष संतोष

संतोष


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