रानाघाट (पश्चिम बंगाल), 23 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की एक अदालत ने नदिया जिले के हंसखालि में 2022 में एक किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को नौ दोषियों में से तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
चोटों के कारण लड़की की बाद में मौत हो गई थी।
रानाघाट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) न्यायालय ने ब्रजगोपाल गोआली, प्रभाकर पोद्दार और रंजीत मलिक को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत 14 वर्षीय लड़की से सामूहिक दुष्कर्म करने, आपराधिक साजिश रचने और सबूत नष्ट करने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
मुख्य आरोपी ब्रजगोपाल के पिता समरेंद्र गोआली को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि इनमें से एक दोषी घटना के समय नाबालिग था और उसे एक वर्ष तक अच्छा आचरण बनाए रखने की शर्त के साथ 50,000 रुपये के मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
अधिवक्ता ने बताया कि शेष दोषियों को आपराधिक साजिश, सबूतों को नष्ट करने और आपराधिक धमकी सहित अन्य अपराधों के लिए कम कारावास की सजा दी गई।
रानाघाट की एडीजे अदालत ने हंसखालि में 2022 में चोटों के कारण दम तोड़ देने वाली किशोरी से हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में नौ लोगों को सोमवार को दोषी ठहराया।
सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत नेता के बेटे की जन्मदिन की पार्टी के दौरान चार अप्रैल 2022 को 14 वर्षीय लड़की से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।
लड़की बीमार पड़ गई और अगले दिन उसकी मौत हो गई। आरोपियों के कथित दबाव में जल्दबाजी में उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
इस घटना से लोगों में आक्रोश फैल गया और विपक्ष तथा सत्ताधारी दलों के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच का जिम्मा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा था।
अधिवक्ता अनिंद्या दास ने कोलकाता उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राज्य पुलिस से सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने इस बात पर चिंता जताई थी कि सत्ताधारी पार्टी के नेता के बेटे की संलिप्तता निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर सकती है।
भाषा यासिर पवनेश
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