भगवद्गीता सदाचारपूर्ण जीवन, विवेकपूर्ण कर्म के लिए सार्वभौमिक मार्गदर्शक: उपराष्ट्रपति

भगवद्गीता सदाचारपूर्ण जीवन, विवेकपूर्ण कर्म के लिए सार्वभौमिक मार्गदर्शक: उपराष्ट्रपति

भगवद्गीता सदाचारपूर्ण जीवन, विवेकपूर्ण कर्म के लिए सार्वभौमिक मार्गदर्शक: उपराष्ट्रपति
Modified Date: November 30, 2025 / 09:34 pm IST
Published Date: November 30, 2025 9:34 pm IST

(फोटो सहित)

कुरुक्षेत्र, 30 नवंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने भगवद्गीता को ‘‘सदाचारपूर्ण जीवन और विवेकपूर्ण कर्म के लिए एक सार्वभौमिक मार्गदर्शक’’ बताते हुए रविवार को कहा कि गीता की शिक्षाएं तेजी से बदलते समय में व्यक्तियों और समाजों को दिशा दिखाने का काम करती रहेंगी।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए राधाकृष्णन ने कहा कि वह कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर आकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, जिसे ‘वेदों की भूमि’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र एक शाश्वत उदाहरण है कि अंततः धर्म की अधर्म पर विजय होती है, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।

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महाभारत युद्ध के संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि युद्ध से ठीक पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता के पवित्र उपदेश दिए थे, जो मानवता को कर्तव्य, धर्म और निस्वार्थ कर्म के लिए मार्गदर्शन करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान कृष्ण का धर्म द्वारा निर्देशित कर्म पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान, सार्थक और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की कुंजी है। उन्होंने कहा, ‘हज़ारों वर्षों के बाद भी, हमारा देश और विश्व गीता का उत्सव मनाता आ रहा है। कुरुक्षेत्र वह आध्यात्मिक हृदय स्थल बना हुआ है जहां यह अमर ज्ञान पहली बार बोला गया था।’

राधाकृष्णन ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था और नैतिक आचरण गीता के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह शास्त्र सिखाता है कि व्यक्ति को फल की आसक्ति के बिना, सदाचारी कर्म के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक मजबूत चरित्र धन या अन्य सांसारिक उपलब्धियों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। राधाकृष्णन ने कहा कि गीता मानवता को सदाचारपूर्ण और अनुशासित जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करती है तथा हमें याद दिलाती है कि नैतिक शक्ति उद्देश्य की स्पष्टता और धार्मिकता के प्रति समर्पण से उत्पन्न होती है।

इससे पहले, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाने के लिए पूरे भारत से गणमान्य व्यक्ति, संत और श्रद्धालु कुरुक्षेत्र की पावन भूमि पर एकत्रित हुए हैं।

कुरुक्षेत्र में आध्यात्मिक समागम की मेजबानी पर गर्व व्यक्त करते हुए सैनी ने कहा कि यह पवित्र भूमि, जो प्राचीन काल से अपनी दिव्य आभा के लिए जानी जाती है, भगवद्गीता के शाश्वत संदेश से लाखों लोगों को प्रेरित करती रही है।

भाषा आशीष पवनेश

पवनेश


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