भाजपा ने पिछड़ा वर्ग आयोग से कहा, जातिगत सर्वेक्षण जल्दबाजी में न करें
भाजपा ने पिछड़ा वर्ग आयोग से कहा, जातिगत सर्वेक्षण जल्दबाजी में न करें
बेंगलुरु, दो सितंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (केएससीबीसी) से आग्रह किया है कि वे सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण जल्दबाजी में न करें और इसे दशहरे के बजाय गर्मियों के मौसम में कराया जाए।
सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण को सामान्यतः जातिगत गणना कहा जाता है।
प्रतिनिधिमंडल ने आयोग द्वारा प्रकाशित 1,400 जातियों की सूची पर भी कड़ी आपत्ति जताई है।
भाजपा के राज्य महासचिव एवं विधायक वी. सुनील कुमार ने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अध्यक्ष से कहा है कि यह कहना उचित नहीं है कि सर्वेक्षण 15 दिनों में पूरा हो जाएगा और वह भी दशहरे के समय, किसी दबाव में। इस अवधि में 1.75 से दो करोड़ घरों का सर्वेक्षण करना आसान नहीं है। इसे पुनः विचार किया जाना चाहिए और सर्वेक्षण गर्मियों में कराया जाना चाहिए।’’
आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि 1,400 जातियों की सूची प्रकाशित की गई है और आपत्तियां मांगी गई हैं। इस सूची में कुछ नयी जातियां बनाई गई हैं, जो सरकार या किसी आयोग की किसी भी जाति सूची में नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुरुबा-ईसाई, मडिवाला-ईसाई, वोक्कालिगा-ईसाई, इस प्रकार लगभग 107 नयी जातियां बनाई गई हैं, जिन्हें कोड नंबर भी दिए गए हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।’’
भाजपा नेता ने चेतावनी दी कि नयी जातियां बनाने से पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ईसाई जातियों का सवाल है, हमने दो-तीन उपजातियों के बारे में सुना है और मुसलमानों के लिए कुछ उपजातियां हैं।’’
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सभी हिन्दू उपजातियों के सामने ईसाई या मुसलमान जोड़कर धार्मिक परिवर्तन को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को शक है कि यह धार्मिक परिवर्तन को समर्थन देने और आने वाले दिनों में उन्हें आरक्षण देने की साजिश है।’’ उन्होंने नये सिरे से बनाई गई जातियों को सूची से हटाने की मांग की।
सुनील कुमार ने बताया कि आयोग से यह भी अनुरोध किया गया है कि सर्वेक्षण के लिए प्रमाण-पत्र अनिवार्य रूप से दिया जाए और 1,400 जातियों को पिछड़ा वर्ग की श्रेणियों के अनुसार सूचीबद्ध किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष ने हमारी बात धैर्यपूर्वक सुनी, लेकिन वह 15 दिनों में सर्वेक्षण करने पर अड़े रहे।’’
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सर्वेक्षण जल्दबाजी में न किया जाए और इसकी रिपोर्ट को खारिज न किया जाए, क्योंकि यह सर्वेक्षण भविष्य में सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कर्नाटक सरकार ने राज्य में 22 सितंबर से सात अक्टूबर तक 15 दिनों का नया सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है।
आयोग को सर्वेक्षण रिपोर्ट अक्टूबर के अंत तक सौंपने का समय दिया गया है।
भाषा सुरेश माधव
माधव

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