नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने देशभर के ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों में हुई बढ़ोतरी और नफरत फैलाने वाले अपराधों से निपटने के लिए इसके दिशानिर्देशों के अनुपालन संबंधी याचिका पर प्रारम्भिक जवाब दाखिल करने की केंद्र सरकार को शुक्रवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि शीर्ष अदालत ने तहसीन पूनावाला मामले में 2018 में एक रूपरेखा निर्धारित की थी, जिसके तहत पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के निर्देश दिये गये थे और समान व्यवस्था जारी रहेगी।
पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘इस अदालत ने पहले से ही रूपरेखा तय कर रखी है, ऐसे में हमारी चिंता इस रूपरेखा का अनुपालन विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किए जाने को लेकर है।’’
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह इस जनहित याचिका पर प्रारम्भिक जवाब दाखिल करेंगे। इसके साथ ही न्यायालय ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
सुनवाई के प्रारम्भ में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि 2021 में ईसाई संस्थानों पर हमले की 500 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
भाषा सुरेश नरेश
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