बिरला को एक संसदीय समिति के अध्यक्ष ने लिखा पत्र, ‘जी राम जी’ विधेयक स्थायी समिति को भेजने का आग्रह
बिरला को एक संसदीय समिति के अध्यक्ष ने लिखा पत्र, ‘जी राम जी’ विधेयक स्थायी समिति को भेजने का आग्रह
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष सप्तगिरि शंकर उलाका ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ को गहन विचार-विमर्श के लिए संबंधित स्थायी समिति के पास भेजने का आग्रह किया।
ओडिशा के कोरापुट से कांग्रेस सांसद उलाका ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ ग्रामीण रोजगार और आजीविका समर्थन से जुड़े ढांचे में बड़े बदलाव करने का प्रस्ताव करता है।
कांग्रेस सांसद ने गहन विचार-विमर्श के बिना इतने व्यापक प्रभाव वाले विधेयक को पारित किए जाने की संभावना पर ‘‘गहरी चिंता’’ व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थायी समितियां केवल प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं नहीं हैं, बल्कि वे संसद के विधायी कार्य का अभिन्न अंग हैं, खासकर जहां कानून वैधानिक गारंटी, विकेंद्रीकृत शासन और ग्रामीण श्रमिकों के अधिकारों को प्रभावित करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह विधेयक अधिकारों पर आधारित हकदारी को बदलकर वैधानिक गारंटियों की प्रकृति को मौलिक रूप से बदल रहा है।
उलाका ने यह भी कहा कि इससे संवैधानिक औचित्य, न्यायोचित अधिकारों के कमजोर होने और जवाबदेही के क्षरण के संबंध में गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण विकास और पंचायती राज से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष के रूप में, मुझे यह संस्थागत रूप से असंगत लगता है कि इस तरह के विधेयक को उस स्थायी समिति को संदर्भित किये बिना आगे बढ़ाया जा रहा है जो सीधे तौर पर इसके विषय से संबंधित है।’’
उन्होंने कहा कि यह संसद को विधायी सुझावों से वंचित करता है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह विधेयक को गहन विचार-विमर्श के लिए संबंधित स्थायी समिति को भेजें।
मौजूदा रोजगार गारंटी कानून ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) के स्थान पर ‘जी राम जी’ विधेयक मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा में पेश किया गया था। ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए बुधवार को सदन में रखा।
विधेयक में 125 कार्य दिवस का प्रावधान है और इसमें विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय परिकल्पना के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करने की बात कही गई है।
भाषा सुभाष सुरेश
सुरेश

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