Child Pornography: क्या चाइल्ड पोर्न देखना अपराध है?, सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

Child Pornography: क्या चाइल्ड पोर्न देखना अपराध है?, सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

Child Pornography: क्या चाइल्ड पोर्न देखना अपराध है?, सुप्रीम कोर्ट में कल होगी सुनवाई

Child Pornography

Modified Date: September 23, 2024 / 12:00 am IST
Published Date: September 22, 2024 11:59 pm IST

दिल्ली। Child Pornography: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें कहा गया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना व देखना POCSO एक्ट और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा सुनाए जाने की संभावना है।

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दरअसल, जनवरी में मद्रास हाईकोर्ट ने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने के लिए 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था। HC के इस फैसले के खिलाफ दोबारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।  सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि, आजकल बच्चे पोर्नोग्राफी देखने की गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं उन्हें दंडित करने के बजाय, समाज को उन्हें शिक्षित करने पर जोर देना चाहिए।

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हाईकोर्ट ने कहा कि, ”आईटी एक्ट की धारा 67बी के तहत अगर आरोपी ने बच्चों को यौन-स्पष्ट कृत्यों या आचरण में चित्रित करने वाली सामग्री प्रकाशित, प्रसारित या बनाई है, तभी इसे अपराध माना जाएगा। यह ऐसे मामले को कवर नहीं करता है, जिसमें किसी व्यक्ति ने केवल इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड की हो और कुछ और किए बिना उसे देखा हो। आरोपी ने दो वीडियो डाउनलोड किए थे, जिन्हें न तो प्रकाशित किया गया और न ही दूसरों को भेजा गया। वे याचिकाकर्ता के निजी डोमेन में थे।

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Child Pornography: मद्रास हाईकोर्ट ने बच्चों द्वारा पोर्नोग्राफी देखने पर चिंता व्यक्त की थी और कहा कि पोर्नोग्राफी देखने से किशोरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो उनके मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अगर कोई किशोर पोर्नोग्राफी देखने का आदी है, तो उसे काउंसलिंग में भाग लेना चाहिए।

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