बच्चों के स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक की सलाह को शिक्षाविदों का समर्थन
बच्चों के स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर रोक की सलाह को शिक्षाविदों का समर्थन
पणजी, एक मई (भाषा) गोवा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रोहन खुंटे के उस बयान का शिक्षाविदों ने समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों के स्मार्टफोन को पुरस्कार न समझने की अपील की है। शिक्षाविदों का मानना है कि स्मार्टफोन आदि के अत्यधिक प्रयोग पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन कुछ अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा के इस युग में यह अनिवार्य है।
खुंटे ने शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के हवाले से कहा था कि मोबाइल फोन की लत बच्चों पर गंभीर असर डाल रही है।
उन्होंने कहा, ”हमें स्मार्टफोन को बच्चों के लिए पुरस्कार समझना बंद कर देना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि यह नियमित स्कूली शिक्षा प्रणाली पर कोविड-19 महामारी प्रतिबंधों से निपटने के लिए सिर्फ एक उपकरण मात्र है।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, प्रसिद्ध शिक्षाविद नारायण देसाई ने ”पीटीआई-भाषा” को बताया कि ”छात्रों द्वारा उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग कुछ ऐसा है जिसका हमें मुकाबला करने की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों के स्तर पर उचित सोच और योजना बनाई जानी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि माता-पिता और छात्र पूरी तरह से उपकरणों से दूर नहीं हो सकते क्योंकि नई शिक्षा नीति (एनईपी) मल्टीमीडिया का उपयोग करने और बच्चे को स्वयं सीखने वाला बनाने की बात करती है।
उन्होंने दावा किया, ”एनईपी इस बात पर जोर देता है कि बच्चे को उपकरण की समझ होनी चाहिए।”
गोवा की निवासी संचिता पाई रायकर ने कहा, ‘‘जब से ऑनलाइन शिक्षा एक मानक बन गई है, बच्चों के पास अपने उपकरण हैं। इस पर माता-पिता का नियंत्रण लगभग शून्य है।” इनका बेटा पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की गोवा इकाई के पूर्व प्रमुख डॉ शेखर साल्कर ने कहा कि कई माता-पिता मनोवैज्ञानिकों से संपर्क कर रहे हैं कि बच्चों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग को कैसे कम किया जाए।
उन्होंने कहा, ”हर कोई सहमत है कि डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन की आवश्यकता है। यह अच्छी बात है कि विचार सरकार की ओर से आ रहा है, लेकिन वास्तव में यह कौन करेगा यह एक सवाल है।”
विभिन्न प्रौद्योगिकी से संबंधित उद्योगों की एक संस्था गोवा टेक्नोलॉजी एसोसिएशन (जीटीए) ने कहा कि मंत्री ने सही समय पर सही मुद्दा उठाया है।
जीटीए के अध्यक्ष मिलिंद अन्वेकर ने दावा किया, ”एक वीडियो गेम जीतना और एक तस्वीर पर ‘लाइक’ प्राप्त करने से जो डोपामाइन निकलता है, जो मस्तिष्क में खुशी प्रदान करने वाला एक रसायन है। इसका असर वैसा ही है, जैसे शराब पीना या नशीली दवाओं का उपयोग करने से होता है। समय के साथ, हम इस डोपामाइन रिलीज के लिए तरसने लगते हैं, जो हमें प्रौद्योगिकी और इंटरनेट-सक्षम उपकरणों का और भी अधिक उपयोग करने के लिए मजबूर करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि केवल बच्चों को दोष देना उचित नहीं है, क्योंकि वे यह देखकर और समझ रहे हैं कि फोन सबसे महत्वपूर्ण चीज है, और यह माता-पिता पर है कि वह बच्चों के आगे सही दृष्टांत कायम करें।
भाषा फाल्गुनी सुरेश
सुरेश

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