सिविल सेवा परीक्षा: यूपीएससी के ‘उत्तर कुंजी’ संबंधी फैसले पर न्यायालय ने कहा, कुछ सकारात्मक हुआ है
सिविल सेवा परीक्षा: यूपीएससी के 'उत्तर कुंजी' संबंधी फैसले पर न्यायालय ने कहा, कुछ सकारात्मक हुआ है
नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के बाद अनंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित करने के संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के निर्णय पर संतोष व्यक्त करते हुए मंगलवार को इसे एक बेहतर घटनाक्रम करार दिया।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर की पीठ ने इसे एक अच्छा घटनाक्रम बताते हुए उन अभ्यर्थियों की याचिकाओं का निपटारा कर दिया, जिन्होंने यूपीएससी को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की उत्तर कुंजी, कट-ऑफ अंक और अंकों का खुलासा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने सुनवाई की शुरुआत में कहा, “हमने कुछ समाचार पढ़े हैं।”
इस मामले में न्यायालय की सहायता कर रहे (न्यायमित्र) वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही में दायर एक हलफनामे का हवाला दिया।
पीठ ने कहा, “कुछ बहुत ही सकारात्मक हुआ है।’’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि ये याचिकाएं “गलत प्रश्न” के कारण दायर की गईं और याचिकाकर्ताओं के कई साल बर्बाद हो गए।
इस मामले में मुख्य याचिका अधिवक्ता राजीव कुमार दुबे के माध्यम से दायर की गई थी।
पीठ ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में गलत प्रश्नों का आरोप लगाने वाली कई याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने पहले भी विचार किया है।
सिब्बल ने यह भी आग्रह किया कि याचिकाकर्ताओं को एक और मौका दिया जाए।
पीठ ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा, “हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि यूपीएससी ने इस संबंध में निर्णय ले लिया है।”
पीठ ने याचिकाकर्ताओं को उचित राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का विकल्प खुला छोड़ दिया।
आयोग सिविल सेवा परीक्षा सहित अन्य परीक्षाएं आयोजित करता है।
पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में यूपीएससी ने कहा था कि अंतिम परिणाम घोषित होने के बाद अंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित की जाएगी।
यूपीएससी ने कहा, ‘‘व्यापक विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप और एक संवैधानिक निकाय के रूप में यूपीएससी को सौंपी गई पवित्र भूमिका पर विचार करते हुए आयोग निम्नलिखित सचेत और सुविचारित निर्णय पर पहुंचा है: (क) प्रारंभिक परीक्षा आयोजित होने के बाद अनंतिम उत्तर कुंजी प्रकाशित करना।”
यूपीएससी ने कहा था कि परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों से अभ्यावेदन या आपत्तियां मांगी जाएंगी।
हलफनामे में कहा गया था कि प्रत्येक अभ्यावेदन या आपत्ति के समर्थन में तीन आधिकारिक स्रोत होने चाहिए और जिन आपत्तियों के समर्थन में सामग्री नहीं होगी, उन्हें तुरंत खारिज कर दिए जाएंगे।
हलफनामे में कहा गया था, ‘‘हालांकि, आयोग यह तय करेगा कि प्रस्तुत स्रोत प्रामाणिक हैं या नहीं।’’
भाषा प्रशांत सुरेश
सुरेश

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