नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सोमवार को कहा कि वह गिरफ्तारी, तलाशी और संपत्ति कुर्क करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों सहित धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रमुख प्रावधानों को बरकरार रखने वाले 2022 के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं के साथ नई याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत से बात करेंगे।
वर्ष 2022 में शीर्ष अदालत ने विजय मदनलाल चौधरी मामले में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रमुख प्रावधानों को बरकरार रखा था।
इसके बाद से, इस फैसले को कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिनमें पुनर्विचार याचिकाएं और फैसले को चुनौती देने वाली तथा इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का अनुरोध करने वाली नई रिट याचिकाएं शामिल हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने 31 जुलाई को कहा कि वह पहले अपने 2022 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं की विचारणीयता के मुद्दे पर दलीलें सुनेगी।
हालांकि, वह मुख्य याचिकाओं पर पुनर्विचार याचिकाओं के साथ सुनवाई करने के लिए सहमत नहीं हुई और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से निर्देश लेने के लिए प्रधान न्यायाधीश से संपर्क करने को कहा।
उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एस.के. कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कई मौकों पर इस मामले की सुनवाई की है।
सिब्बल ने कहा कि नवंबर 2023 में न्यायमूर्ति कौल की सेवानिवृत्ति के मद्देनजर पीठ को भंग कर दिया गया था और उसके बाद मामले को सूचीबद्ध नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रारंभिक आपत्तियों पर विचार-विमर्श के लिए छह अगस्त को पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की।
भाषा संतोष सुरेश
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