मनरेगा कामगारों की ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था खत्म हो : कांग्रेस

मनरेगा कामगारों की ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था खत्म हो : कांग्रेस

मनरेगा कामगारों की ऐप के जरिये उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था खत्म हो : कांग्रेस
Modified Date: January 4, 2023 / 05:21 pm IST
Published Date: January 4, 2023 5:21 pm IST

नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कामगारों की उपस्थिति ऐप के माध्यम से दर्ज किए जाने की व्यवस्था गरीबों एवं वंचित तबकों के हितों के खिलाफ है, इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सरकार को मनरेगा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट जैसे कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह अनिवार्य कर दिया है कि हर मनरेगा कामगार को अपनी उपस्थिति ऐप के जरिये दर्ज करानी होगी। इस कदम से यह नजर आता है कि पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन इसका विपरीत प्रभाव भी होगा।’’

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उन्होंने दावा किया कि सरकार के इस कदम से भ्रष्टाचार के नए रास्ते खुलेंगे तथा कामगारों को अपनी मजदूरी पाने में मुश्किल होगी।

रमेश ने कहा, ‘‘जिनके पास महंगे स्मार्टफोन नहीं हैं, खासकर महिलाओं और वंचित समुदायों के लोगों को नुकसान होगा। एक तरह से वह मनरेगा कमजोर हो जाएगा जो ग्रामीण इलाकों के गरीबों के लिए संजीवनी है।’’

मौजूदा वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत 8,450 करोड़ रुपये का भुगतान होने में विलंब हुआ है इसमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है जहां पूरे राज्य में भुगतान नहीं हो पाया है।

रमेश ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून और मनरेगा देश के गरीबों के लिए जीवनरेखा रहे हैं , जब मोदी सरकार ने कोविड और अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘देश को याद है कि प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में मनरेगा का मजाक बनाया था और फिर कोविड के समय उन्हें एक और यू-टर्न लेना पड़ा और इसकी कीमत उन्हें महसूस हुई।’

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार ने इन प्रमुख योजनाओं पर हमला किया है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि मोदी सरकार गरीबों और वंचितों के प्रति असंवेदनशील है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस मोदी सरकार का आह्वान करती है कि वह इस ऐप की व्यवस्था खत्म करे, उन सभी लोगों की मजदूरी की भरपाई करे जिन्हें तकनीकी खराबी के चलते अपनी मजदूरी गंवानी पड़ी। साथ ही सरकार सोशल ऑडिट के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे।’’

भाषा हक

हक मनीषा

मनीषा


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