कांग्रेस तो बीस साल में भी एसआईआर के लिए तैयार नहीं हुई : सुधांशु त्रिवेदी

कांग्रेस तो बीस साल में भी एसआईआर के लिए तैयार नहीं हुई : सुधांशु त्रिवेदी

कांग्रेस तो बीस साल में भी एसआईआर के लिए तैयार नहीं हुई : सुधांशु त्रिवेदी
Modified Date: December 11, 2025 / 05:36 pm IST
Published Date: December 11, 2025 5:36 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) विपक्ष पर लोकतंत्र को अब तक नहीं समझ पाने का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर आपत्ति जताने वाली कांग्रेस तो बीस साल में भी इसके लिए तैयार नहीं हुई।

भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने चुनाव सुधारों पर उच्च सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया आजादी के बाद शुरु हुई और कई तरह की समस्याएं आईं लेकिन समय के साथ चीजें बदलती गईं। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों के समय और फिर संप्रग सरकार के दौरान सत्ता पक्ष ने अपनी जरूरत के अनुसार नियमों में बार-बार बदलाव किया। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के समय लाभ के पद के मुद्दे पर नियम बदले गए थे।

त्रिवेदी ने कहा कि दूसरों पर आरोप लगाने वालों को पहले यह देखना चाहिए कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए कब-कब क्या-क्या किया था?

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उन्होंने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड के रूप में राजग सरकार ने चुनावी चंदे को लेकर पारदर्शी व्यवस्था बनाई।

उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों को बहुमत तब मिलता था जब मतपत्रों की पेटियां लूटी जाती थीं, बूथ ‘कैप्चरिंग’ होती थी और गोलियां चलती थीं। उन्होंने कहा ‘‘आज सीसीटीवी कैमरों से निगरानी होती है, ईवीएम का उपयोग होता है।’’

त्रिवेदी ने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस आज आपत्ति उठा रही है लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर ने 18 दिसंबर 1950 को यह पुनरीक्षण हर छह महीने में करने की जरूरत रेखांकित की थी लेकिन व्यवहारिक दिक्कतों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि एक साल में यह होना चाहिए। ‘‘कांग्रेस तो बीस साल में भी मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण नहीं करना चाहती।’’

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस लोकतंत्र को अब तक समझ नहीं पाई है।

त्रिवेदी ने कहा कि भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है और यहां का लोकतंत्र जीवंत है। इस जीवंत लोकतंत्र का आधार उसकी विविधतापूर्ण संस्कृति है। ‘‘लेकिन हमारे ही देश के कुछ लोग दूसरे देशों में जा कर गुहार लगाते हैं कि देश में लोकतंत्र को बचाना है।’’

त्रिवेदी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था कि समानता, बंधुता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को हमें विदेशी नजरिये से देखने की जरूरत नहीं है।

भाषा

मनीषा अविनाश

अविनाश


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