कांग्रेस को स्वीकार करना चाहिए कि आपातकाल की घोषणा एक बहुत बड़ी गलती थी : अकबर

कांग्रेस को स्वीकार करना चाहिए कि आपातकाल की घोषणा एक बहुत बड़ी गलती थी : अकबर

कांग्रेस को स्वीकार करना चाहिए कि आपातकाल की घोषणा एक बहुत बड़ी गलती थी : अकबर
Modified Date: June 25, 2025 / 08:07 pm IST
Published Date: June 25, 2025 8:07 pm IST

पणजी, 25 जून (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस को यह ‘‘स्वीकार करना चाहिए’’ कि आपातकाल एक बहुत बड़ी गलती थी और आगे बढ़ना चाहिए।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 50 साल पहले इसी दिन देश में आपातकाल लगाया था।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय राजनीति की सबसे पुरानी पार्टी को अब भी ‘‘अपराधबोध’’ के साथ जीना चाहिए अकबर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कांग्रेस को यह स्वीकार करना चाहिए कि यह (आपातकाल की घोषणा) एक बहुत बड़ी गलती थी, राष्ट्र पर हमला था और आगे बढ़ना चाहिए।’’

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वरिष्ठ पत्रकार ने गोवा में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आखिरकार, भारत में कई राजनीतिक दलों ने खुद को सुधारने के तरीके खोज लिए हैं। कांग्रेस ऐसा क्यों नहीं कर सकती?’’

उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि भारतीय मतदाताओं ने 1977 में इंदिरा गांधी को हराने के बाद 1980 में उन्हें दोबारा सत्ता में लाकर अपनी ‘‘समझदारी’’ का परिचय दिया।

अकबर कहा, ‘‘जब जनता पार्टी का प्रयोग विफल हो गया और 1980 में जनता को फिर से वोट देने का मौका मिला तो उन्होंने एक स्थिर सरकार चुनी। वे अस्थिरता नहीं चाहते थे। इतिहास अक्सर गलतियों की कहानी के साथ-साथ सफलताओं की भी कहानी है। इसलिए कांग्रेस को इसे स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि आपातकाल एक ऐसा दौर था जब बेकाबू राजनीतिक शक्ति और तानाशाही ने भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों और सिद्धांतों का कत्लेआम किया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उस कठिन दौर में भी भारत को खुद को फिर से पहचानने की प्रेरणा मिली।’’

उन दिनों की अपनी यादों को ताजा करते हुए अकबर ने कहा कि आपातकाल, किसी व्यक्ति, संस्था के लिए और राष्ट्रीय स्तर पर एक अभूतपूर्व झटका था। उस समय अकबर 24 वर्ष के थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने लोकतंत्र को हल्के में लिया। हमें यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई हमारे देश के मूल सिद्धांतों और आधारभूत विचारधारा में हस्तक्षेप कर सकता है। मुझे लगता है कि इस झटके को समझने में लोगों को थोड़ा समय लगा।’’

अकबर ने कहा कि समाचार पत्रों ने इस पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में संपादकीय पेज रिक्त छोड़ दिए।

पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘शायद आपातकाल का सबसे खतरनाक पहलू यह था कि दो-तीन हफ्तों के बाद लोग इसे सामान्य मानने लगे, जैसे मानों यह दौर जारी रहेगा और यही भारत का भविष्य होने वाला है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘आपातकाल के अपराधी’’, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके छोटे बेटे संजय गांधी ऐसे बात करने लगे जैसे आने वाले 20 सालों तक यही हाल रहने वाला हो और यही अब देश के लिए सामान्य स्थिति बन गई हो।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमें यह समझ में आया कि भले ही भारत कुछ समय के लिए चुप हो गया था, लेकिन वह कभी भी शांत नहीं रहा। यह भारत के लोग ही थे जिन्होंने वास्तव में आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य से आपातकाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई आज आपातकाल को दोहराने की कोशिश करता है तो यह संभव नहीं होगा….कोई भी ऐसा करके बच नहीं पाएगा। यही 1975 से 77 तक का मुख्य सबक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब हर कोई समझता है कि भारत की ताकत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता में निहित है।’’ उन्होंने कहा कि जो कोई भी व्यक्तिगत ताकत के लिए भारत की स्वतंत्रता को चुनौती देने की कोशिश करेगा, आने वाले समय में लोग उसकी अलोचना करेंगे।

भाषा खारी रंजन

रंजन


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