कोरोमंडल एक्सप्रेस के यात्री ने खौफनाक मंजर को किया याद, कहा-हर तरफ खून फैला था |

कोरोमंडल एक्सप्रेस के यात्री ने खौफनाक मंजर को किया याद, कहा-हर तरफ खून फैला था

कोरोमंडल एक्सप्रेस के यात्री ने खौफनाक मंजर को किया याद, कहा-हर तरफ खून फैला था

:   Modified Date:  June 3, 2023 / 10:29 PM IST, Published Date : June 3, 2023/10:29 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) ओडिशा में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे के दौरान कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार अनुभव दास नामक एक यात्री ने इस भयावह दुर्घटना का आंखों देखा मंजर बयां किया।

हादसे में दास को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन दुर्घटना के समय की चीख-पुकार अब भी उनकी कानों में गूंज रही है। दास ने कई ट्वीट कर विस्तार से बताया कि दुर्घटना कैसे हुई। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘यह एक भयानक दृश्य था। कुछ लोग घायल हो गए, कुछ ट्रेन के मलबे के नीचे से रेंग रहे थे।’’

दास को बाद में पता चला कि न केवल उनकी ट्रेन, बल्कि एक और एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।

दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उस खौफनाक मंजर को याद किया कि कैसे वह अपने कोच से बाहर निकले। दुर्घटना के समय दास इस बात से अनजान थे कि तीन ट्रेन इस दुर्घटना में शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी ट्रेन के बिल्कुल आखिरी हिस्से में था। लगभग साढ़े छह बजे, हमने कुछ देर गड़गड़ाहट और फिर तेज झटके की आवाज सुनी, जो आपातकालीन ब्रेक की तरह लग रहा था। उस समय, हमें एहसास हुआ कि कोई दुर्घटना हुई है और हमें सुरक्षित रहने के लिए कोच से उतरना पड़ा।’’

दास ने कहा, ‘‘जब हम अपने कोच से उतरने वाले थे और दरवाजे खोले तो हमने देखा कि हमारी ट्रेन के सामने दूसरी लाइन पर तीन और डिब्बे पटरी से उतर गए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगा कि वह यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस थी…ये यशवंतपुर एक्सप्रेस के आखिरी तीन डिब्बे थे, जो सामान्य डिब्बे थे और उनमें लगभग 250-300 लोग सवार थे। हमने खून से लथपथ लोगों को देखा…हमने उन्हें अपने कोच से पानी और चादरें दीं।’’

पीएचडी शोधार्थी दास कोरोमंडल एक्सप्रेस से वापस कटक अपने घर जा रहे थे, जब उन्होंने अपने जीवन का सबसे खौफनाक दृश्य देखा। ट्रेन के आखिरी एसी कोच नंबर एच1 में होने के कारण उनकी जान बच गई और उन्होंने घायल लोगों की मदद की और पुलिस और रेलवे हेल्पलाइन को फोन किया।

उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवा कर्मियों को घटनास्थल पर पहुंचने में एक घंटे का समय लगा, लेकिन जैसे ही उन्होंने काम संभाला, उन्होंने जरूरतमंदों की काफी मदद की।

दास ने कहा, ‘‘जब एंबुलेंस आई, तो वे हमसे दूर जा रहे थे। यह ट्रैक सड़क की तरफ था। एंबुलेंस हमसे दूर कोरोमंडल एक्सप्रेस के अगले हिस्से की ओर जा रही थी। इसलिए यह पता लगाने के लिए कि एंबुलेंस आगे क्यों जा रही थी, हम यह जानने के लिए वहां गए कि क्या हुआ है।’’

तभी दास को एहसास हुआ कि ट्रेन के डिब्बे मालगाड़ी से टकरा गए हैं। दास ने कहा, ‘‘हर तरफ चीख पुकार मची थी। जमीन पर, पटरियों पर, हर जगह खून था। सभी लोग खून से लथपथ थे और कुछ लोगों की बांह कट गई थी। जगह-जगह लाशें पड़ी थीं।’’

दास ने यह भी बताया कि क्षतिग्रस्त डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ गए थे जैसे की ‘तीन चार मंजिला इमारत’ हो।

इससे पहले, ट्वीट में दास ने कहा कि वह बहुत खुशकिस्मत हैं कि सकुशल बच गए। दास ने ट्वीट किया था, ‘‘इस दुर्घटना में तीन ट्रेन शामिल थीं-कोरोमंडल एक्सप्रेस 12841, यशवंतपुर-हावड़ा एसएफ और एक मालगाड़ी। शुरुआत में ऐसा लगा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और (बगल में लूप ट्रैक पर खड़ी) मालगाड़ी से टकरा गई।’’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने पटरी पर 200 से 250 यात्रियों के शव बिखरे देखे। पूरी पटरी पर क्षत-विक्षत शव का अंबार लगा हुआ था और खून फैला हुआ था। यह एक ऐसा दृश्य था, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। ईश्वर उन परिवारों की मदद करे। मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं।’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

 

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