जोजरी नदी में प्रदूषण नियंत्रित करने में विफल रहने पर न्यायालय ने अधिकारियों की आलोचना की

जोजरी नदी में प्रदूषण नियंत्रित करने में विफल रहने पर न्यायालय ने अधिकारियों की आलोचना की

जोजरी नदी में प्रदूषण नियंत्रित करने में विफल रहने पर न्यायालय ने अधिकारियों की आलोचना की
Modified Date: November 17, 2025 / 03:36 pm IST
Published Date: November 17, 2025 3:36 pm IST

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जोजरी नदी में प्रदूषण को नियंत्रित करने में विफल रहने पर राजस्थान के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि इससे 20 लाख लोगों को हुई परेशानी “अविश्वसनीय” है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ जोजरी नदी के पानी के प्रदूषण से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, “घटनास्थल पर जो कठोर वास्तविकता है, वह चिंताजनक है। लोगों को जो कष्ट हुआ है, वह अविश्वसनीय है।”

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इसने पाया कि सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) को नजरअंदाज कर दिया गया था और अपशिष्ट को सीधे नदी में छोड़ दिया गया था।

पीठ ने अधिकारियों की ओर से उपस्थित वकील से पूछा, “यही तो हो रहा है। हमें नगर निकायों को दोषमुक्त क्यों करना चाहिए?”

न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, “जो कुछ हुआ है वह सभी संबंधित अधिकारियों की नाक के नीचे और उनकी मिलीभगत से हुआ है।”

राज्य के वकील ने कहा कि उन्होंने मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

पीठ ने कहा कि रिपोर्ट वस्तुतः इस मामले में पारित आदेश में कही गई बातों की पुष्टि करती है।

इसमें कहा गया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में राज्य सरकार विफल रही है, जिसके कारण 20 लाख लोग परेशान हैं।

राज्य के वकील ने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि पाली और बालोतरा नगर परिषदें, जोधपुर नगर निगम और राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड (रीको) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा जारी “सकारात्मक निर्देशों” के संबंध में अपनी अपीलों को आगे नहीं बढ़ाएंगे।

एनजीटी ने फरवरी 2022 में तीन नदियों – लूनी, बांडी और जोजरी में प्रदूषण से संबंधित मामले में यह आदेश पारित किया था।

पीठ ने राज्य द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और कहा कि वह इस मामले में आदेश 21 नवंबर को पारित करेगी।

भाषा प्रशांत संतोष

संतोष

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