अदालत ने एयर इंडिया को पायलटों को बहाल करने का निर्देश दिया

अदालत ने एयर इंडिया को पायलटों को बहाल करने का निर्देश दिया

अदालत ने एयर इंडिया को पायलटों को बहाल करने का निर्देश दिया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: June 1, 2021 11:47 am IST

नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले वर्ष नौकरी से निकाले गए राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के विमान चालकों को बड़ी राहत देते हुए कंपनी के पिछले वर्ष के निर्णय को मंगलवार को पलट दिया और उनकी पुनर्बहाली के आदेश दिए।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने एअर इंडिया को यह निर्देश दिए। उन्होंने अपने आदेश में साथ ही कहा कि इन विमान चालकों को पुराने भत्तों का भुगतान करेगा।

अदालत ने कहा कि एअर इंडिया को भत्ते समेत पिछला वेतन सेवारत विमान चालकों के बराबर और सरकारी नियमों के अनुसार देना होगा।

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उसने यह भी कहा कि अनुबंध पर काम करने वाले विमान चालकों के अनुबंध को भविष्य में बढ़ाने का निर्णय एअर इंडिया उनके कामकाज के आधार पर लेगी।

अदालत ने कहा कि मामले में विस्तृत आदेश बुधवार को ही उपलब्ध हो सकेंगे।

अदालत ने यह आदेश विमान चालकों की ओर से दाखिल 40 से अधिक याचिकाओं पर दिया, जिनकी नौकरी एअर इंडिया ने पिछले वर्ष 13 अगस्त को समाप्त कर दी थी।

नौकरी से निकाले गए अधिकतर विमान चालकों का प्रतिनिधित्व वकील रवि रघुनाथ और नीलांश गौड़ कर रहे हैं। इन विमान चालकों ने पहले इस्तीफे देने के बाद वापस ले लिए थे।

विमान चालकों ने पहले पिछले साल जुलाई में अदालत का दरवाजा खटखटाकर एअर इंडिया को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि कंपनी त्याग पत्रों को वापस लेना स्वीकार करे।

एअर इंडिया ने गत 13 अगस्त को उन सभी विमान चालकों को सेवा समाप्ति के पत्र जारी किये थे जिन्होंने पूर्व में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन इस्तीफों को वापस ले लिया था। एअर इंडिया के इस कदम के खिलाफ विमान चालकों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

विमान चालकों ने दलील दी है कि उन्होंने शुरूआत में इस्तीफे एअर इंडिया द्वारा वेतन एवं भत्तों के भुगतान में देरी को लेकर दिये थे।

उन्होंने यह भी दलील दी कि न तो उनके नोटिस की अवधि कम की गई और न ही इस्तीफे प्राप्त होने के बाद उन्हें कोई अनापत्तिपत्र ही जारी किये गए। उन्होंने साथ यह भी दलील दी कि इस्तीफे तदनुसार वापस ले लिये गए थे लेकिन इस्तीफे वापस लिये जाने को एअर इंडिया ने स्वीकार नहीं किया था।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश


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