पूर्व राजनयिक की याचिका पर सीलबंद टीएमसी सांसद की माफी कबूल करने से अदालत का इनकार
पूर्व राजनयिक की याचिका पर सीलबंद टीएमसी सांसद की माफी कबूल करने से अदालत का इनकार
नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी की याचिका पर तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले की सीलबंद लिफाफे में माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि उन्होंने ‘देरी और टालमटोल की’ लेकिन अदालत के फैसले का पालन नहीं किया।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने नौ मई के एक आदेश में तृणमूल कांग्रेस सांसद को दो सप्ताह के भीतर एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के अलावा अपने ‘एक्स’ हैंडल पर माफी प्रकाशित करने का निर्देश दिया था, जहां से उन्होंने विवादास्पद पोस्ट किए थे।
अदालत गोखले के खिलाफ पुरी की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सांसद को सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंचों पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोकने के 1 जुलाई 2024 के फैसले का अनुपालन करने के लिए कहा गया था और माफी मांगने तथा 50 लाख रुपये का हर्जाना भरने का निर्देश दिया गया था।
अदालत ने कहा, ‘‘इस अदालत की राय में, ऐसा कोई कारण नहीं है कि अदालत को सीलबंद लिफाफे में माफी स्वीकार करनी चाहिए।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘जुलाई 2024 में आदेश पारित किया गया था, वैधानिक अवधि में कोई चुनौती नहीं दी गई थी, अंततः जो चुनौती दी गई थी, उसे विस्तृत निर्णय के साथ खारिज कर दिया गया था, और प्रतिवादी ने बस देरी की, विलंब किया और टालमटोल की, लेकिन अब भी निर्णय/आदेश का अनुपालन नहीं किया।’’
संयुक्त राष्ट्र में पूर्व सहायक महासचिव पुरी ने 2021 में उच्च न्यायालय का रुख किया था और आरोप लगाया था कि जिनेवा में उनके एक अपार्टमेंट के संबंध में उनके वित्तीय मामलों के बारे में गोखले ने बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाकर उनकी साख को बट्टा लगाया।
उच्च न्यायालय ने पुरी के मानहानि के मुकदमे पर 1 जुलाई, 2024 को आदेश पारित किया और तृणमूल कांग्रेस सांसद के सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंचों पर कोई भी सामग्री प्रकाशित करने पर रोक लगा दी।
भाषा वैभव नरेश
नरेश

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