अदालत ने शिक्षाविद अशोक स्वैन के ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट पर अदालती टिप्पणियों को हटाने से इनकार किया

अदालत ने शिक्षाविद अशोक स्वैन के ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट पर अदालती टिप्पणियों को हटाने से इनकार किया

अदालत ने शिक्षाविद अशोक स्वैन के ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट पर अदालती टिप्पणियों को हटाने से इनकार किया
Modified Date: April 23, 2025 / 04:08 pm IST
Published Date: April 23, 2025 4:08 pm IST

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को शिक्षाविद अशोक स्वैन की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्वैन ने अपने प्रवासी भारतीय नागरिकता (ओसीआई) कार्ड को रद्द करने के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल न्यायाधीश द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया था।

भारत में जन्मे स्वीडिश शिक्षाविद् स्वैन ने कहा कि वह एकल न्यायाधीश की इस टिप्पणी से व्यथित हैं, जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के कुछ ट्वीट में ‘‘आपत्तिजनक’’ संकेत थे और इसे भारत संघ के संवैधानिक तंत्र और वैधता को कमजोर करने वाला माना जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने 28 मार्च के अपने फैसले में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आदेश को स्वैन के खिलाफ आरोपों के गुण-दोष पर उनकी राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।

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एकल न्यायाधीश के फैसले पर गौर करते हुए, जिसमें स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द करने के केंद्र के आदेश को खारिज कर दिया गया था, खंडपीठ ने कहा कि ये निष्कर्ष नहीं थे बल्कि एकल न्यायाधीश की प्रथम दृष्टया राय थी।

चूंकि, अदालत अपील पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी, इसलिए स्वैन के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘अपील वापस ले ली गई है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’’

भाषा

शफीक पवनेश

पवनेश


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