फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका को वापस लेने का अनुरोध खारिज

फर्जी जाति प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका को वापस लेने का अनुरोध खारिज

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  • Publish Date - May 1, 2024 / 08:12 PM IST,
    Updated On - May 1, 2024 / 08:12 PM IST

कोलकाता, एक मई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक याचिकाकर्ता को अपनी जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कुछ व्यक्तियों ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किए और उनके आधार पर उन्होंने विभिन्न प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में नौकरियां हासिल कीं।

अदालत इस जनहित याचिका के साथ एक अन्य आवदेन की भी सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में अन्य समुदायों के लोगों को अनुसूचित जाति संबंधी फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।

इससे पहले अदालत ने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव को जारी किए गए जाति प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने और एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। यह रिपोर्ट 20 जून को अगली सुनवाई पर राज्य द्वारा सारणीबद्ध रूप में पेश की जाएगी।

याचिकाकर्ता अजय घोष से जब अदालत ने सवाल किया कि वह अपनी जनहित याचिका क्यों वापस लेना चाहते हैं, तो उन्होंने दावा किया कि उनके वकील मामले की ठीक से पैरवी नहीं कर रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह रुख बिल्कुल गलत है क्योंकि घोष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सभी सुनवाई में उपस्थित हुए थे। इसके साथ ही पीठ ने घोष को याचिका वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, याचिका वापस लेने की अनुमति अस्वीकार की जाती है।’

पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या उन्हें अपनी जनहित याचिका वापस लेने के लिए किसी तीसरे पक्ष या किसी अन्य पक्ष से उन पर कोई दबाव डाला गया था, लेकिन घोष ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

हालांकि अदालत ने घोष को अपना वकील बदलने की अनुमति दे दी।

अदालत ने निर्देश दिया कि मामले में अगली सुनवाई 20 जून को होगी।

भाषा अविनाश अमित

अमित