न्यायालय ने बिहार विद्यापीठ जमीन मामले में पटना उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर रोक लगाई
न्यायालय ने बिहार विद्यापीठ जमीन मामले में पटना उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर रोक लगाई
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बिहार विद्यापीठ की 32 एकड़ ‘‘निजी’’ भूमि के अधिग्रहण के संबंध में राज्य सरकार को निर्देश देने वाली पटना उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी।
राजधानी पटना में स्थित बिहार विद्यापीठ की इस जमीन पर एक समय ‘सदाकत आश्रम’ नाम से कांग्रेस पार्टी का कार्यालय था।
न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने विद्यापीठ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और अधिवक्ता शोएब आलम की दलीलों पर संज्ञान लिया।
अधिवक्ताओं ने शीर्ष अदालत से कहा कि पटना उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका क्षेत्राधिकार में निजी संपत्ति के संबंध में आदेश पारित कर रहा है।
बिहार की राजधानी पटना में गंगा के तट पर 32 एकड़ में फैले बिहार विद्यापीठ की स्थापना महात्मा गांधी ने छह फरवरी, 1921 को की थी। यहां पर कई दशकों तक ‘सदाकत आश्रम’ नाम से कांग्रेस पार्टी का कार्यालय मौजूद था।
सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक निजी सोसायटी बिहार विद्यापीठ ने अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया और याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे उच्च न्यायालय इस मामले में आदेश पारित कर रहा है जो संविधान के तहत सोसायटी के अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
भाषा रवि कांत नरेश
नरेश

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