जब अवमानना करने वाले उदारता का दुरुपयोग करें तो अदालतों को दया नहीं दिखानी चाहिए: न्यायालय

जब अवमानना करने वाले उदारता का दुरुपयोग करें तो अदालतों को दया नहीं दिखानी चाहिए: न्यायालय

जब अवमानना करने वाले उदारता का दुरुपयोग करें तो अदालतों को दया नहीं दिखानी चाहिए: न्यायालय
Modified Date: September 8, 2023 / 04:03 pm IST
Published Date: September 8, 2023 4:03 pm IST

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि न्यायिक संस्थानों द्वारा दिखाए गये उदार रवैये से बेईमान वादियों को आदेश की अवज्ञा करने या सजा से मुक्ति के साथ उल्लंघन करने के लिए प्रोत्साहित होते देखा गया है।

उसने कहा कि जब अवमानना करने वाले इस बात का इस्तेमाल ‘कानूनी चाल’ के रूप में करते हैं तो अदालतों को सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता नहीं है।

यह टिप्पणी तब आई जब शीर्ष अदालत गुजरात उच्च न्यायालय के एक मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एक संपत्ति विवाद में 2015 में दिए गए एक शपथपत्र की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए पांच लोगों को अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत सजा सुनाई थी।

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मामले में अपीलकर्ताओं ने उच्च न्यायालय को दिए गए हलफनामे के बावजूद, विभिन्न पक्षों के पक्ष में 13 बैनामों को निष्पादित किया।

उच्च न्यायालय ने इनमें से तीन को दो महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई थी और बाकी दो को सजा के ऐवज में एक लाख रुपये का भुगतान करने को कहा था।

न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि फर्जी माफी स्वीकार नहीं की जानी चाहिए और अदालत अवमानना करने वालों द्वारा मांगी गई माफी स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है और इस प्रकार मांगी गई माफी बिना शर्त और प्रामाणिक होनी चाहिए।

भाषा वैभव देवेंद्र

देवेंद्र


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