नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कोविड-19 की व्यापकता का पता लगाने के लिए संसद परिसर में सीवेज और वायु निगरानी प्रणाली स्थापित करने का सुझाव देते हुए उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू के समक्ष मंगलवार को एक प्रस्तुति दी।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने अपनी प्रस्तुति में सीवेज निगरानी प्रणाली की प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह व्यवस्था किसी भी आबादी में संक्रमित लोगों की संख्या के बारे में गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान उपलब्ध कराती है तथा इसका उपयोग कोविड-19 के प्रसार की प्रक्रिया को समझने के लिए उस समय किया जा सकता है, जब बड़े पैमाने पर लोगों की जांच संभव नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि यह वास्तविक समय पर समुदायों में कोविड के प्रसार की समग्र निगरानी करने का एक उपाय है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, डॉ. मांडे ने सीवेज निगरानी का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 मरीजों के मल में एसएआर-सीओवी2 विषाणु होते हैं, जो विषाणु रोगकारक लक्षणों वाले मरीजों के साथ-साथ बिना लक्षणों वाले मरीजों के मल में भी पाए जाते हैं और इस प्रकार से जलमल में इस विषाणु के प्रसार से संक्रमण की प्रवृत्ति के बारे में जानकारी मिल जाती है।
डॉ. मांडे ने बताया कि कोविड-19 की सीवेज निगरानी व्यवस्था न केवल इस महामारी को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में कोविड-19 के फैलने और उसका जल्द से जल्द पता लगाने के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
उन्होंने उपराष्ट्रपति के समक्ष दी गई प्रस्तुति के दौरान विषाणुओं और उनकी संक्रमण की क्षमता पर निगरानी रखने के लिए वायु नमूनाकरण प्रणाली स्थापित करने का भी सुझाव दिया।
बयान के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने इन सभी वैज्ञानिकों को उनके कार्यों के लिए बधाई दी और प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस विषय पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और सरकार के साथ चर्चा करेंगे।
डॉ. मांडे ने हैदराबाद, प्रयागराज, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, पुडुचेरी और चेन्नई में संक्रमण की प्रवृत्ति का पता लगाने के लिए सीवेज निगरानी से संबंधित आंकड़ों को भी पेश किया और यह भी बताया कि इन प्रकार से लोगों की संख्या के बारे में एक अनुमान प्राप्त हो जाता है, क्योंकि व्यक्तिगत स्तर पर नमूनाकरण किया जाना संभव नहीं होता है।
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