नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगर सर्जरी के दौरान किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो यह स्वत: आधार पर नहीं माना जा सकता है कि डाक्टर ने लापरवाही की है तथा इसे साबित करने के लिए उपयुक्त मेडिकल सबूत होने चाहिए।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की। आयोग ने अपने आदेश में एक डॉक्टर को चिकित्सकीय लापरवाही करने का दोषी ठहराया था।
पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि हर मामले में जहां इलाज सफल नहीं हो पाता है या सर्जरी के दौरान मरीज की मृत्यु हो जाती है, यह स्वत: नहीं माना जा सकता है कि डॉक्टर की लापरवाही थी। लापरवाही को दर्शाने के लिए रिकॉर्ड में दस्तोवज उपलब्ध होने चाहिए या उचित मेडिकल साक्ष्य पेश किए जाने चाहिए।’’
न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह व्यवस्था दी। इस आदेश में डॉक्टर को चिकित्सकीय लापरवाही का दोषी ठहराया गया था और नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 17 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
यह मामला 1996 का है जिसमें इलाज के दौरान महिला मरीज की मौत हो गयी थी।
भाषा
अविनाश अनूप
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