Delhi Red Fort Blast: पहले भी अमोनियम नाइट्रेट से दहल चुकी हैं दिल्ली-मुंबई, फरीदाबाद से बरामद हुआ 2900 किग्रा विस्फोटक, 20 साल में दिल्ली में हुए इतने धमाके..जानें

Delhi Red Fort Blast: फरीदाबाद के फतेहपुर टैगा इलाके से पुलिस ने अनुमानित 2,900 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है

Delhi Red Fort Blast: पहले भी अमोनियम नाइट्रेट से दहल चुकी हैं दिल्ली-मुंबई, फरीदाबाद से बरामद हुआ 2900 किग्रा विस्फोटक, 20 साल में दिल्ली में हुए इतने धमाके..जानें
Modified Date: November 10, 2025 / 09:20 pm IST
Published Date: November 10, 2025 9:18 pm IST
HIGHLIGHTS
  • इतिहास में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल
  • क्यों चुनते हैं आतंकी अमोनियम नाइट्रेट?
  • पिछले बीस साल में दिल्ली में हुए इतने धमाके

नई दिल्ली: Delhi Red Fort Blast, दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की संभावित साजिश को विफल कर दिया गया है। फरीदाबाद के फतेहपुर टैगा इलाके से पुलिस ने अनुमानित 2,900 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है। वही रसायन जिसे गलत हाथों में होने पर घातक विस्फोटक में बदला जा सकता है। जांच अधिकारियों के अनुसार, इतनी बड़ी मात्रा से सैकड़ों शक्तिशाली IED बनाए जा सकते थे, इसलिए यह बरामदगी एक गंभीर सुरक्षा सफलता मानी जा रही है।

अमोनियम नाइट्रेट — क्या है खतरा?

Delhi Red Fort Blast, अमोनियम नाइट्रेट सामान्यतः कृषि में उर्वरक के रूप में प्रयोग होने वाला एक सफेद पाउडर है। लेकिन जब इसे डेटोनेटर, बैटरी और टाइमर जैसे घटकों के साथ मिलाया जाता है तो यह विनाशकारी विस्फोटक में बदल सकता है। यही तकनीक लोकल IED और कूकर-बम जैसी विस्फोटक उपकरण बनाने में इस्तेमाल होती है।

इतिहास में इसका इस्तेमाल

पुलिस रिकॉर्ड के हवाले से बताय गया है कि अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल देश में पहले भी कई बड़े बम हमलों में हुआ था, जिनमें 13 सितंबर 2008 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट और 2011 के मुंबई मार्केट धमाके शामिल हैं। ये घटनाएँ जन-जीवन और सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत विनाशकारी रहीं, जिनमें दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए।

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क्यों चुनते हैं आतंकी अमोनियम नाइट्रेट?

आतंकवादी एवं स्थानीय टेरर मॉड्यूल अक्सर अमोनियम नाइट्रेट को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह व्यापक रूप से उपलब्ध, सस्ता और आसानी से प्राप्त होने वाला है। सही मिश्रण और जुगाड़ के साथ यह बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने में सक्षम होता है, इसलिए खुफिया एजेंसियाँ और पुलिस इसे लेकर सतर्क रहती हैं।
पुलिस ने बरामद सामग्री की प्रवाह और स्रोत का पता लगाने के लिए जांच तेज कर दी है और संभावित षड्यंत्र में शामिल अन्य लोगों की पहचान के प्रयास जारी हैं।

पिछले बीस साल में दिल्ली में हुए इतने धमाके

—1997 में लाजपत नगर ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हुई थी, तीस से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
—1998 में करोल बाग गैफिटी मार्केट ब्लास्ट में 17 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
—2001 में संसद भवन पर हमला, विस्फोट और गोलाबारी में सुरक्षा बलों सहित नौ लोगों की मौत हुई थी।
—2005 में सीरियल ब्लास्ट से सरोजनी नगर, पहाड़गंज गोविंदपुरी में हुए थे, 29 अक्टूबर 2005 को तीन धमाके हुए थे, जिसमें 60 से अधिक मौतें हुई थी। 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
—2008 में दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुआ। 13 सितंबर को कनॉट प्लेस, करोल बाग, इंडिया गेट, बाराखंबा रोड सहित पांच स्थानों पर धमाके हुए। जिसमें 26 लोगों की मौत हुई। 100 से अधिक लोग घायल हुए। इसी महीने 27 सितंबर को महरौली में ब्लास्ट हुआ। दो लोगों की मौत हुई।
—2011 में दिल्ली हाईकोर्ट में ब्लास्ट हुआ, 7 सितंबर 2011 को गेट नंबर 5 के पास विस्फोट में 15 लोगों की मौत हुई। 70 से अधिक लोग घायल हुए।
—2021 में इजरायली राजदूत के पास मामूली धमाका 29 जनवरी को हुआ था। हालाकी इस दौरान कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com