दिल्ली की अदालत ने ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ मामले की सुनवाई टालने की अर्जी पर फटकार लगाई

दिल्ली की अदालत ने ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ मामले की सुनवाई टालने की अर्जी पर फटकार लगाई

दिल्ली की अदालत ने ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ मामले की सुनवाई टालने की अर्जी पर फटकार लगाई
Modified Date: August 11, 2025 / 10:46 pm IST
Published Date: August 11, 2025 10:46 pm IST

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा)दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ कथित ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाला मामले में आरोपों पर सुनवाई स्थगित करने की अर्जी को लेकर ‘कड़ी फटकार’ लगाई।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आठ अगस्त को आरोपी के वकील की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें मामले के जांच अधिकारी को 27 जून, 2022 को लिखे गए पत्र को इकबालिया बयान मानने का अनुरोध किया गया था।

अदालत में सोमवार को सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने स्थगन का अनुरोध करते हुए दलील दी कि वर्तमान अदालत द्वारा आठ अगस्त को पारित आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है और इसे 12 अगस्त को सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।

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न्यायाधीश गोगने ने कहा कि यह याचिका पिछले ‘हठी दावे’ की ही निरंतरता है, जिसमें कहा गया था कि पिछले आवेदन पर अदालत के फैसले के बिना आरोप पर बहस नहीं की जानी चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अदालत न केवल उसे नियंत्रित करने के प्रयास की कड़ी निंदा करेगी, बल्कि आरोप पर दलीलों के एक पहलू को आवेदन के रूप में प्रस्तुत करने और फिर उस पर समय से पहले व्यवस्था प्राप्त करने के प्रयास की भी कड़ी निंदा करेगी।’’

उन्होंने कहा कि स्थगन के लिए आवेदन से ‘‘चुनिंदा मुद्दों को उठाकर कार्यवाही को बाधित करने के सचेत प्रयास का पर्दाफाश होता है।’’

अदालत ने कहा कि हालांकि किसी भी न्यायिक मंच के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना किसी भी पक्ष का अंतर्निहित अधिकार है, लेकिन अभियुक्त के वकील द्वारा स्थगन पर जोर देने और आरोपों पर बहस शुरू करने से इनकार करने का उद्देश्य ‘‘आरोपों पर बहस के प्रवाह और समग्र बहस को नियंत्रित करना है, जो 99 अभियुक्तों में से 68 अभियुक्तों के लिए पूरी हो चुकी है।’’

इस मामले के 103 आरोपियों में से चार की मृत्यु हो गई है।

न्यायाधीश ने एक अभियुक्त से, जो डिजिटल माध्यम से उपस्थित हुआ था, प्रश्न किया कि क्या आवेदन उसके समझ में आ रहा है।

अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी संख्या20 (स्कूल का प्रधानाचार्य) ने स्वीकारोक्ति में जवाब दिया है। इस प्रकार अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि वर्तमान आवेदन, स्वयं आरोपी द्वारा कार्यवाही में देरी करने का एक सचेत प्रयास है, जिसके तहत उसने अपने वकील को आरोप पर बहस करने से रोकने का निर्देश दिया है।’’

आदेश में आगे कहा गया, ‘‘निष्पक्षता के हित में तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी कानूनी रणनीति से अभियुक्त के अधिकारों को नुकसान न पहुंचे, अभियुक्त संख्या 20 को एक सप्ताह के भीतर आरोप पर लिखित दलीलें दाखिल करने की स्वतंत्रता होगी।’’

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र के ग्रुप-डी श्रेणी में नियुक्तियां लालू प्रसाद के 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान की गईं। इन नियुक्तियों के बदले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार या सहयोगियों के नाम पर भूखंड बतौर उपहार दिए गए या हस्तांतरित किए गए।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप


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