Delhi GOVT vs LG Case Update: LG नहीं अरविंद केजरीवाल ही होंगे दिल्ली के ‘King’, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनाया अहम फैसला
LG नहीं अरवींद केजरीवाल ही होंगे दिल्ली के 'King', सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनाया अहम फैसला! Delhi GOVT vs LG Case Update
Pastor Father | Photo Credit : IBC File
नई दिल्ली: Delhi GOVT vs LG Case Update सीएम केजरीवाल और उपराज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार को होना चाहिए। इसका सीधा मतलब ये है कि दिल्ली पर सीएम अरविंद केजरीवाल का ही सिक्का बोलेगा। लेकिन इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि सरकार को उपराज्यपाल के साथ समन्वय के साथ काम करना चाहिए।
Read More: खरगोन के बाद अब मंदसौर और रायसेन में बस हादसा, अलग-अलग दुर्घटनाओं में डेढ़ दर्जन घायल
Delhi GOVT vs LG Case Update दरअसल, केंद्र सरकार ने 2021 में गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में संसोधन किया था। इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को कुछ और अधिकार दे दिए गए थे। आम आदमी पार्टी ने इसी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- – अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा
- – चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती।
- – उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।
- – पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच का फैसला सुनाते हुए कहा, दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से निपटना जरूरी है। एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार परिभाषित करता है। 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता है। इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।
सीजेआई ने कहा, यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है। यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है? CJI ने कहा, हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना आवश्यक है। अनुच्छेद 239AA व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है।
– सीजेआई ने कहा, NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता। NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम हैं।
– सीजेआई ने कहा, प्रशासन को GNCTD के संपूर्ण प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है, नहीं तो निर्वाचित सरकार की शक्ति कमजोर हो जाएगी।
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते।
– ”एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती।”
गौरतलब है कि कोर्ट ने इस मामले में 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिल्ली सरकार का तर्क रहा है कि केंद्र दरअसल उसके और संसद के बीच के अंतर को खत्म करना चाहता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है। उन्होंने कहा कि चूंकि ये राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए ये जरूरी है कि केंद्र के पास अपने प्रशासन पर विशेष अधिकार हों और अहम मुद्दों पर नियंत्रण हो।

Facebook



