मातृत्व अवकाश दो बच्चों तक सीमित रखने के नियम पर पुनर्विचार करे सरकार, HC ने कहा बाद के बच्चों का क्या दोष?

उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से पूछा कि तीसरे और उसके बाद के बच्चों का क्या दोष है, जिन्हें उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।

मातृत्व अवकाश दो बच्चों तक सीमित रखने के नियम पर पुनर्विचार करे सरकार, HC ने कहा बाद के बच्चों का क्या दोष?

Delhi HC imposes Rs 25000 fine on jailor

Modified Date: July 23, 2024 / 10:34 pm IST
Published Date: July 23, 2024 10:16 pm IST

नयी दिल्ली। maternity leave to two children दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को सीसीएस (अवकाश) नियम पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत महिला सरकारी कर्मचारियों को पहले दो बच्चों के जन्म के समय मातृत्व अवकाश दिया जाता है।

उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से पूछा कि तीसरे और उसके बाद के बच्चों का क्या दोष है, जिन्हें उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।

केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43 के अनुसार, कोई महिला सरकारी कर्मचारी शुरुआती दो बच्चों के जन्म के समय दोनों बार 180 दिन की अवधि के लिए मातृत्व अवकाश की हकदार है।

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अदालत ने कहा तीसरे बच्चे को जन्म के तुरंत बाद और शिशु अवस्था के दौरान मातृ स्पर्श से वंचित रखा जाना ठीक नहीं है, क्योंकि नियम 43 के अनुसार उस बच्चे की मां से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जन्म के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आए। अदालत ने कहा, “यह याद रखना महत्वपूर्ण होगा कि किसी गर्भवती महिला के शारीरिक व मनोवैज्ञानिक परिवर्तन एक समान रहते हैं, चाहे वह पहली दो गर्भवास्था के दौरान हों, या तीसरे या उसके बाद की गर्भावस्था के दौरान। इसके अलावा, बाल अधिकारों के दृष्टिकोण से इस मुद्दे पर गौर करने पर हम पाते हैं कि सीसीएस (अवकाश) नियमों के तहत नियम 43 एक महिला सरकारी कर्मचारी के पहले दो बच्चों और तीसरे या बाद के बच्चे के अधिकारों के बीच एक अनुचित भेद पैदा करता है। इससे तीसरे और बाद के बच्चे को उस मातृ देखभाल से वंचित होना पड़ता है, जो पहले दो बच्चों को मिली थी।”

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा कि तीसरा बच्चा पूरी तरह असहाय है, इसलिए न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह हस्तक्षेप करे।

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पीठ केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें पुलिस को तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली महिला कांस्टेबल को मातृत्व अवकाश देने का निर्देश दिया गया था।

महिला के पुलिस में भर्ती होने से पहले दो बच्चे थे। इसके बाद उसकी पहली शादी टूट गई और दोनों बच्चे अपने पिता के पास रहने लगे। दूसरी शादी से उसे तीसरा बच्चा हुआ, लेकिन मातृत्व अवकाश के लिए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com