महिला की हत्या मामले में तीन पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा का उच्च न्यायालय का फैसला खारिज

महिला की हत्या मामले में तीन पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा का उच्च न्यायालय का फैसला खारिज

महिला की हत्या मामले में तीन पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा का उच्च न्यायालय का फैसला खारिज
Modified Date: January 28, 2025 / 10:29 pm IST
Published Date: January 28, 2025 10:29 pm IST

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2004 में एक महिला की कथित हत्या के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को मंगलवार को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उच्च न्यायालय के दिसंबर 2012 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की याचिका स्वीकार कर ली थी और हत्या के लिए तीन पुलिसकर्मियों-सुरेंद्र सिंह, सूरत सिंह और अशद सिंह नेगी को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था।

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महिला की नवंबर 2004 में ‘‘पुलिस गोलीबारी’’ में मौत हो गई थी।

उच्च न्यायालय ने एक अन्य पुलिसकर्मी जगदीश सिंह की ओर से दायर याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसने गोली चलाई थी और बाद में निचली अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

पीठ ने कहा कि जगदीश, जो हेड कांस्टेबल था, ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी, लेकिन 16 जनवरी 2025 को उसकी याचिका का निपटारा कर दिया गया, क्योंकि उसकी मृत्यु हो चुकी है।

उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए गए तीन पुलिसकर्मियों की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह दिखाने के लिए कोई सबूत पेश करने में नाकाम रहा कि वे जगदीश के साथ समान इरादा रखते थे।

पीठ ने कहा, ‘‘अब यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि आईपीसी की धारा 34 (सामान्य इरादे) के तहत किसी आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष को पहले से सांठ-गांठ की बात स्थापित करनी होगी।’’

पीठ ने कहा कि निचली अदालत के निष्कर्ष को उच्च न्यायालय ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि तीनों आरोपी जगदीश के साथ एक ही वाहन में बैठे थे और यह उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा-34 के तहत दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त था।

भाषा पारुल अविनाश

अविनाश


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