नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में हुए दंगों से संबंधित मामले में 49 आरोपियों के खिलाफ दंगे और आगजनी समेत विभिन्न अपराधों के तहत आरोप तय किए, जिसके साथ ही उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता तैयार हो गया।
हालांकि अदालत ने इन सभी आरोपियों को आपराधिक षड़यंत्र के आरोप से मुक्त कर दिया और कहा कि आरोपियों और अन्य लोगों ने कोई साजिश रची थी, यह साबित नहीं हो सका।
अदालत ने एक आरोपी को सभी आरोपों से मुक्त करार दिया और कहा कि दंगाई भीड़ में उसके शामिल होने के कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला 51 आरोपियों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इनमें से सुलेमान सिद्दीकी नाम के एक व्यक्ति को अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने 24 फरवरी, 2020 को मुख्य वजीराबाद रोड पर एक कार के शोरूम में अतिक्रमण, तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
न्यायाधीश ने सोमवार को पारित आदेश में कहा, “प्रथम दृष्टया मैंने पाया है कि भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (दंगा), 148 (दंगा करना, घातक हथियारों से लैस होना), 427 (उपद्रव मचाने और उसके कारण 50 रुपये या उससे अधिक की राशि की हानि या क्षति करने के लिए दंड), 435 ( आगजनी या विस्फोटक पदार्थों के जरिए 100 रुपये या उससे अधिक राशि का नुकसान करना) और 436 (घर आदि को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ से उपद्रव मचाना) के तहत मुकदमा चलना चाहिए।”
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों को आईपीसी की धारा 450 ( किसी भी अपराध को करने के लिए किसी घर में अतिक्रमण), 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत भी मुकदमा चलेगा।
उन्होंने कहा, “चूंकि इस मामले की जांच के दौरान आरोपी मोहम्मद आफताब के भीड़ में शामिल होने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, इसलिए उसे आरोपमुक्त किया जाता है।”
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश
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