मकानों को ध्वस्त करने का मामला: शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा

मकानों को ध्वस्त करने का मामला: शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा

मकानों को ध्वस्त करने का मामला: शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा
Modified Date: March 3, 2025 / 06:20 pm IST
Published Date: March 3, 2025 6:20 pm IST

नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न ढांचों को ध्वस्त करने के उसके निर्देशों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता को शिकायत के साथ संबंधित उच्च न्यायालय में जाने की अनुमति दी।

पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘‘आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं जाते? हर मामले में, हमारे लिए यहां से निगरानी करना मुश्किल होगा।’’

 ⁠

वकील ने कहा कि अधिकारियों द्वारा ध्वस्त किए गए मकान निजी भूमि पर स्थित थे।

पीठ ने कहा, ‘‘हम मौजूदा याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।’’

शीर्ष अदालत 13 नवंबर 2024 के शीर्ष अदालत के फैसले के निर्देशों की कथित रूप से अवहेलना करने के लिए राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

फैसले में देश स्तर पर दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए तथा पूर्व कारण बताओ नोटिस बिना दिए तथा पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिए बिना विभिन्न ढाचों को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी गई।

अधिवक्ता पारसनाथ सिंह के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि अहमदाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और शीर्ष अदालत द्वारा जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक आरोपी के तीन मकानों और एक झोपड़ी को गिरा दिया।

याचिका में कहा गया, ‘‘सक्षम प्राधिकारी ने मकानों को ध्वस्त करने के संबंध में कोई भी पूर्व सूचना जारी नहीं की।’’

गुजरात में अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अधिकारियों ने पिछले साल दिसंबर में अहमदाबाद में तीन मकानों को ध्वस्त कर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया।

उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2024 के फैसले में कहा, ‘‘स्थानीय नगरपालिका कानूनों द्वारा निर्धारित समय के भीतर या नोटिस की तामील की तारीख से 15 दिनों के भीतर, जो भी बाद में हो, पूर्व कारण बताओ नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए।’’

यह फैसला विभिन्न ढांचों के ध्वस्तीकरण पर दिशानिर्देश के अनुरोध वाली याचिकाओं पर आया।

भाषा आशीष माधव

माधव


लेखक के बारे में