यूपी में भी सामने आया मुजफ्फरपुर कांड, देवरिया के बालिका गृह से चल रहा था सेक्स रैकेट

यूपी में भी सामने आया मुजफ्फरपुर कांड, देवरिया के बालिका गृह से चल रहा था सेक्स रैकेट

यूपी में भी सामने आया मुजफ्फरपुर कांड, देवरिया के बालिका गृह से चल रहा था सेक्स रैकेट
Modified Date: November 29, 2022 / 08:39 pm IST
Published Date: August 6, 2018 8:06 am IST

देवरिया। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह से देह व्यापार संचालित करने का मामला अभी पुराना भी नहीं हुआ कि यूपी के देवरिया में भी ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां स्थित बालिका गृह से संचालित बड़े देह व्यापार रैकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। यह मामला तब सामने आया जब रविवार रात इस बालिका गृह से भागकर एक बच्ची ने महिला थाने पहुंचकर पुलिस से गुहार लगाई।

इसके बाद एसपी ने फ़ौरन संस्था से 24 बच्चों व महिलाओं को मुक्त कराते हुए उसे सील कर दिया है। देर रात संचालिका, अधीक्षक समेत तीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि 18 बच्चे अब भी इस संस्था से गायब हैं। उनके बारे में पतासाजी की जा रही है।

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यूपी सरकार पहले ही मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता स्थगित कर चुकी है। लेकिन फिर भी यहां बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा जा रहा था। रविवार को बालिका गृह से बेतिया (बिहार) की रहने वाली एक बालिका प्रताडऩा के चलते भाग निकली। किसी तरह वह महिला थाने पहुंची। वहां उससे थाना प्रभारी को सारी बात बताई

एसपी के निर्देश पर पुलिस संस्था पर पहुंची और वहां से 24 बच्चों, महिलाओं को मुक्त कराया। पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने बताया कि वहां के बच्चों से बातचीत हुई है। उन्होंने संस्था में रह रही 15 से 18 वर्ष की लड़कियों से अवैध कृत्य कराने की बात कही है। संस्था को सील कराते हुए वहां की अधीक्षका कंचनलता, संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, मोहन त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अभी 18 बच्चे व लड़कियां गायब हैं। इसकी जांच के लिए सीओ सिटी व जिला प्रोवेशन अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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प्रेसवार्ता के दौरान बालिका ने कहा कि दीदी लोगों को लेने के लिए हर दिन कार आती थी, जब वह वापस आती थीं तो वह रोते हुए आती। जब हम लोग पूछने का प्रयास करती तो वह कुछ भी बोलने से इन्कार कर देती। हम लोगों की पिटाई भी बड़ी मैडम व छोटी मैडम करती थीं। विरोध करने खाना नहीं दिया जाता था।

बताया जा रहा है कि संस्था की मान्यता 2017 में सीबीआइ की जांच में संदिग्ध मिलने के बाद स्थगित कर दिया गया है। शासन के निर्देश पर जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने गृह में रहने वाली 28 महिलाओं, सात कारा के बच्चों तथा अन्य बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए पत्र व्यवहार किया, लेकिन संस्थान द्वारा उनको गोरखपुर शिफ्ट नहीं किया गया। उच्च न्यायालय में मामला होने का दावा किया जाता रहा, लेकिन उच्च न्यायालय से कोई आदेश नहीं मिला।

देर रात एसपी ने बच्चों को अपने सामने भोजन कराया। इसके बाद कुछ बच्चों ने एसपी का हाथ पकड़ लिया। उन्होंने कहा कि साहब हम लोग पढऩा चाहते हैं और अन्य बच्चों के साथ ड्रेस में स्कूल जाना चाहते हैं। बच्चों के इस बात को सुन एसपी खुद भावुक हो उठे और जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार को बुलाकर इन बच्चों की अच्छी व्यवस्था करने की बात कही।

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संस्था की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी ने कहा कि उनका तीन साल से भुगतान नहीं किया गया है। भुगतान न मिलने के चलते वह संस्था को खाली नहीं कर रही थी। उनके ऊपर जो भी आरोप लग रहे हैं वह बेबुनियाद है। पुलिस कुछ भी कहलवा सकती है।

वेब डेस्कIBC24

 


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