दत्तापुकुर धमाके के बावजूद हरित पटाखा इकाइयां स्थापित करने पर जोर : अधिकारी |

दत्तापुकुर धमाके के बावजूद हरित पटाखा इकाइयां स्थापित करने पर जोर : अधिकारी

दत्तापुकुर धमाके के बावजूद हरित पटाखा इकाइयां स्थापित करने पर जोर : अधिकारी

:   Modified Date:  August 30, 2023 / 04:50 PM IST, Published Date : August 30, 2023/4:50 pm IST

कोलकाता, 30 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल में पर्यावरण विभाग और राज्य में आतिशबाजी निर्माताओं के शीर्ष निकाय के अधिकारियों ने कहा कि हाल में उत्तर 24 परगना जिले में एक अवैध पटाखा इकाई में विस्फोट में नौ लोगों की मौत से राज्य में पांच हरित पटाखा विनिर्माण क्षेत्र स्थापित करने की योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिनके 2024 तक शुरू होने की संभावना है।

राज्य के एक वरिष्ठ पर्यावरण अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पटाखे बनाने में लगे लगभग 600 लोगों, जो असंगठित क्षेत्र से हैं, को पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने पीईएसओ (पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन) और एनईईआरआई (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया है।

उन्होंने बताया कि इन्हें पांच हरित आतिशबाजी विनिर्माण समूहों में रखा जाएगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘दक्षिण 24 परगना के महेशतला, पूर्व मेदिनीपुर के हल्दिया और उत्तर 24 परगना के बोंगांव सहित पांच जगहों पर हरित पटाखा विनिर्माण क्षेत्र बनाने का हमारा अभियान जारी रहेगा। इकाइयां स्थापित करने के स्थानों की पहचान की गई है और उनमें से प्रत्येक दो इकाइयों के बीच पर्याप्त दूरी होगी।’’

पटाखा निर्माताओं की शीर्ष निकायल ‘सारा बांग्ला आतिशबाजी उन्नयन समिति’ के अध्यक्ष बबला रॉय ने कहा कि उत्तर 24 परगना में दत्तापुकुर की घटना आंखें खोलने वाली थी क्योंकि मलबे में ‘‘पोटेशियम क्लोराइड और नाइट्रोग्लिसरीन’’ जैसी सामग्री पाई गई थी।

हरित पटाखा विनिर्माण क्षेत्र स्थापित करने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहे रॉय ने कहा, ‘‘कोई भी सामान्य पटाखे पोटेशियम क्लोराइड और नाइट्रोग्लिसरीन के साथ नहीं बनाए जाते हैं क्योंकि ये बम बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले विस्फोटक होते हैं।’’

दत्तापुकुर घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए रॉय ने कहा कि संगठन और राज्य ‘‘सभी अवैध पटाखा कारखानों’’ को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि केवल हरित पटाखा निर्माण इकाइयां ही संचालित हों।

भाषा शफीक माधव

माधव

 

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