तमिलनाडु सरकार, राज्यपाल के बीच विधेयकों को मंजूरी देने पर विवाद: न्यायालय ने 12 सवाल तैयार किए
तमिलनाडु सरकार, राज्यपाल के बीच विधेयकों को मंजूरी देने पर विवाद: न्यायालय ने 12 सवाल तैयार किए
नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में कथित देरी को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल आर एन रवि के बीच जारी विवाद के संबंध में 12 सवाल तैयार किए हैं, जिनके वह जवाब देगा।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने जो 12 सवाल तैयार किए हैं, वे मुख्य रूप से संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत विधेयकों को मंजूरी देने, ठुकराने और राष्ट्रपति के विचार के लिए रखने के राज्यपाल के अधिकार पर आधारित हैं।
पीठ ने 10 फरवरी को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सवालों के मुताबिक, “जब किसी राज्य की विधानसभा ने कोई विधेयक पारित किया हो और उसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए उनके समक्ष पेश किया हो, पर राज्यपाल ने उसे स्वीकृति न दी हो, और इसके परिणामस्वरूप विधानसभा उक्त विधेयक को संशोधन के साथ या उसके बिना फिर से पारित करती है, और उसे पुनः राज्यपाल के पास भेजती है, तो ऐसे मामलों में क्या राज्यपाल के पास यह विकल्प होगा कि वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए रखें, खासकर तब, जब उन्होंने उसे पहली बार राष्ट्रपति के विचार के लिए नहीं रखा था?”
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि वह इस बात का भी जवाब देगी कि क्या किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए रखे जाने के संबंध में राज्यपाल का विवेकाधिकार किसी भी विधेयक पर लागू हो सकता है, या विधेयकों की कुछ विशिष्ट श्रेणियों तक सीमित है, मसलन ऐसे विधेयक जिनकी विषय-वस्तु राज्य विधानमंडल की क्षमता से परे है या जो केंद्रीय कानून के प्रतिकूल है।
इस आदेश की प्रति हाल ही में उपलब्ध कराई गई है।
न्यायालय ने कहा, “क्या अनुच्छेद-200 के तहत राज्यपाल की शक्ति का इस्तेमाल केवल राज्य सरकार की मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर ही किया जाना है या राज्यपाल को ऐसा संदर्भ देने में कुछ हद तक व्यक्तिगत विवेक के इस्तेमाल का अधिकार प्राप्त है?”
भाषा पारुल शफीक
शफीक

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