घरेलू हिंसा कानून, भरण-पोषण के मामले में पहली और दूसरी शादी में भेद नहीं करता: उच्च न्यायालय

घरेलू हिंसा कानून, भरण-पोषण के मामले में पहली और दूसरी शादी में भेद नहीं करता: उच्च न्यायालय

घरेलू हिंसा कानून, भरण-पोषण के मामले में पहली और दूसरी शादी में भेद नहीं करता: उच्च न्यायालय
Modified Date: July 16, 2025 / 08:25 pm IST
Published Date: July 16, 2025 8:25 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अलग रह रहे जीवनसाथी को गुजारा भत्ता देने के मामले में घरेलू हिंसा कानून पहली और दूसरी शादी में अंतर नहीं करता।

न्यायमूर्ति स्वर्णा कांता शर्मा ने 15 जुलाई को कहा कि जब कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी साथी से विवाह कर लेता है और उसे तथा उसके पिछले विवाह से हुए बच्चों को स्वीकार कर लेता है, तो वह बाद में अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे हटने के लिए इसका बचाव के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता।

एक व्यक्ति ने अलग रह रही अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की और कहा कि यह उसकी दूसरी शादी है और बच्चे उसकी (महिला की) पहली शादी से हैं।

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आदेश में कहा गया है, ‘‘जहां तक याचिकाकर्ता (पुरुष) की इस दलील का सवाल है कि प्रतिवादी (पत्नी) की उसके साथ दूसरी शादी थी और उसकी पहली शादी से बच्चे हैं, यह पूरी तरह से गलत है।’’

आदेश में कहा गया, ‘‘घरेलू हिंसा अधिनियम भरण-पोषण के अधिकार के उद्देश्य से पहले या बाद के विवाह के बीच अंतर नहीं करता है। एक बार जब याचिकाकर्ता ने स्वेच्छा से विवाह कर लिया और प्रतिवादी तथा उसके बच्चों को स्वीकार कर लिया, तो अब वह अपने वैधानिक दायित्वों से पीछे हटने के लिए इसे बचाव के रूप में उपयोग नहीं कर सकता।’’

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस आदेश में कोई कमी नहीं पाई, जिसमें व्यक्ति को अपनी पत्नी को एक लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था।

अदालत ने महिला के बेटों, जो बालिग हैं, को भरण-पोषण देने से इनकार करने संबंधी निचली अदालत के आदेश में भी कोई त्रुटि नहीं पाई।

उच्च न्यायालय ने हालांकि, महिला की शिकायत को उचित पाया कि सुनवाई के लंबित रहने के दौरान व्यक्ति ने कथित तौर पर उसके वैध दावों को विफल करने के लिए अपनी संपत्ति को बेचने का प्रयास किया।

महिला ने दावा किया कि पति द्वारा बार-बार मानसिक, शारीरिक, वित्तीय और भावनात्मक दुर्व्यवहार का शिकार होने के बाद वह वर्तमान में अपने पैतृक घर में रह रही है।

उन्होंने कहा कि 1987 में उनके पहले पति की मृत्यु के बाद और दो बेटों का अकेले पालन-पोषण करते समय, उस व्यक्ति ने उनसे विवाह के लिए संपर्क किया और उनके बच्चों की देखभाल और पिता जैसा स्नेह देने का वादा किया था।

इसके विपरीत, व्यक्ति ने दावा किया कि उसकी पत्नी स्वेच्छा से घर छोड़कर चली गई थी तथा उसने वापस लौटने या सुलह करने का कोई प्रयास नहीं किया।

भाषा

देवेंद्र सुभाष

सुभाष


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