कानून के तहत ई-सिगरेट प्रतिबंधित, एनसीबी के पास ऐसा कोई मामला नहीं : सरकार

कानून के तहत ई-सिगरेट प्रतिबंधित, एनसीबी के पास ऐसा कोई मामला नहीं : सरकार

कानून के तहत ई-सिगरेट प्रतिबंधित, एनसीबी के पास ऐसा कोई मामला नहीं : सरकार
Modified Date: December 17, 2025 / 05:01 pm IST
Published Date: December 17, 2025 5:01 pm IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भारतीय कानून के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित हैं तथा स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने ई-सिगरेट और वेप उपकरणों की जब्ती से संबंधित किसी भी मामले की जांच नहीं की है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (पीईसीए) के तहत प्रतिबंधित है।

अधिनियम का प्रवर्तन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उनकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है।

 ⁠

विभिन्न राज्यों में जब्त किए गए वेप उपकरणों में मेथामफेटामाइन और केटामाइन जैसे नशीले पदार्थ के पाए जाने की खबरों के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि एनसीबी ने ऐसे किसी भी मामले की जांच नहीं की है।

वैप उपकरण बैटरी से चलने वाला ऐसा उपकरण होता है जो ई सिगरेट या अन्य नशीले पदार्थ के इस्तेमाल के लिए प्रयुक्त होता है।

हवाई अड्डों, बंदरगाहों और अन्य स्थानों पर जांच को मजबूत करने के कदमों पर सरकार ने कहा कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) और सीमा शुल्क विभाग सहित एजेंसियां खुफिया-आधारित अभियानों, अग्रिम यात्री सूचना प्रणाली (एपीआईएस) के माध्यम से यात्री प्रोफाइलिंग, जोखिम-आधारित रोकथाम और सामान व कंटेनर स्कैनिंग जैसी गैर-हस्तक्षेपकारी निगरानी विधियों के जरिए निरंतर निगरानी रखती हैं।

राय ने कहा कि तस्करी के नए तरीकों के प्रति स्थानीय तैनाती को नियमित रूप से संवेदनशील बनाया जा रहा है, जबकि मादक पदार्थों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित विशेष के9 (कैनाइन) दस्तों को तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए हवाई अड्डों पर तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि मादक द्रव्यों का पता लगने और जब्ती होने पर कानून के अनुसार गिरफ्तारी और अभियोजन सहित कार्रवाई की जाती है।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी(एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 में संशोधन का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।

छात्रों की सुरक्षा और नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने के उपायों पर सरकार ने 24/7 राष्ट्रीय स्वापक हेल्पलाइन ‘मानस’ (1933) का हवाला दिया, जो नागरिकों को ड्रग-संबंधी मुद्दों की जानकारी देने और उन्हें ट्रैक करने के लिए एकल मंच प्रदान करती है।

उन्होंने बताया कि एक अलग टोल-फ्री नशामुक्ति हेल्पलाइन (14446) को अब तक 4.30 लाख से अधिक कॉल प्राप्त हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि नशा मुक्त भारत अभियान जिलों में लागू किया जा रहा है, जिसके तहत युवाओं और महिलाओं सहित 24.9 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई गई है, साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

ई-सिगरेट हाल में उस समय चर्चा में आ गयी जब भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने पिछले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसमें एक तृणमूल कांग्रेस सांसद के खिलाफ सदन के भीतर कथित तौर पर ई-सिगरेट पीने को लेकर कार्रवाई की मांग की गई।

ठाकुर ने इससे पहले लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया, हालांकि उन्होंने सांसद का नाम नहीं लिया। अपनी शिकायत में भाजपा सांसद ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य को “सदन की कार्यवाही के दौरान अपनी सीट पर बैठे हुए खुलेआम इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उपयोग करते” देखा गया, जो उनके अनुसार कई सदस्यों को स्पष्ट रूप से दिखाई दिया और संसदीय मर्यादा का उल्लंघन था तथा कानून के तहत एक संज्ञेय अपराध भी है।

भाषा माधव वैभव

वैभव


लेखक के बारे में