ईडी ने अधिकारियों से निकटता का फायदा उठाकर जालसाजी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया
ईडी ने अधिकारियों से निकटता का फायदा उठाकर जालसाजी करने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया
नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेल में बंद एक व्यक्ति के खिलाफ धन शोधन के मामले में छापेमारी के दौरान गृह मंत्रालय, त्रिपुरा सरकार और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की फर्जी मुहरें और पहचान पत्र जब्त किए हैं। आरोप है कि उस व्यक्ति ने अगरतला में तैनात वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से अपनी ‘निकटता’ का फायदा उठाकर कारोबारियों को ‘धोखा’ दिया था।
ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया कि त्रिपुरा के ऐसे वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को ‘बड़ी रकम’ दी गई थी।
बुधवार को जारी ईडी के एक बयान के अनुसार, संघीय जांच एजेंसी ने त्रिपुरा के उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ मामले में मंगलवार को त्रिपुरा, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में कई ठिकानों पर छापे मारे।
हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद चौधरी फिलहाल हरियाणा की एक जेल में बंद हैं।
ईडी ने कहा, ‘उत्पल कुमार चौधरी की त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से घनिष्ठता थी, जो विभिन्न कारोबारियों से उसका परिचय उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में कराते थे।’
एजेंसी ने दावा किया कि ऐसे परिचितों के माध्यम से चौधरी ने कारोबारियों को विभिन्न सरकारी ठेके दिलाने का झूठा वादा करके धोखा दिया।
ईडी ने कहा कि उसने कई महत्वपूर्ण डिजिटल और भौतिक साक्ष्य, त्रिपुरा सरकार के विभिन्न विभागों जैसे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग, उच्च शिक्षा निदेशालय, उच्च शिक्षा प्राथमिक विद्यालय निदेशालय, कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के स्टांप और भारत सरकार के गृह मंत्रालय के फर्जी पहचान पत्र जब्त किए हैं।
ईडी द्वारा साझा की गई तस्वीर में चौधरी का गृह मंत्रालय का एक फर्जी पहचान पत्र दिखाया गया है, जिसमें उसे मध्य दिल्ली के जय सिंह रोड स्थित मंत्रालय में ‘कार्यक्रम प्रशासक’ के रूप में दिखाया गया। एजेंसी ने बताया कि उसने सात लाख रुपये नकद जब्त किए और कुछ बैंक खातों में लेन-देन पर रोक लगा दी है, जिनमें लगभग 60 लाख रुपये जमा थे।
ईडी के अनुसार, ‘त्रिपुरा के विभिन्न स्थानों में रियल एस्टेट और भूमि में निवेश के संबंध में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं।’
ईडी ने कहा कि आरोपी ने सरकारी संस्थाओं या कंपनियों से मिलते-जुलते नामों का इस्तेमाल करके जनता को ऐसी ‘फर्जी’ कंपनियों में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया। चौधरी ने भारत सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारी होने का दिखावा करके कई लोगों को ‘धोखा’ दिया।
ईडी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि आरोपी ने खुद को त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय का प्रमुख बताया और त्रिपुरा से छात्रों को उनके संस्थानों में भेजने का वादा करके कई शैक्षणिक संस्थानों को ‘धोखा’ दिया।
एजेंसी ने कहा कि उसने त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में मध्याह्न भोजन के अनुबंध देने का झूठा वादा करके कई लोगों को ‘धोखा’ दिया।
ईडी ने कहा कि व्यक्ति ने विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत ‘चल्ताखाली स्वामीजी सेवा संघ’ नामक गैर सरकारी संगठन का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और विभिन्न व्यक्तियों के धन को सफेद करने के लिए उसका बैंक खाता खोल दिया।
प्राथमिक जांच से पता चला है कि इस एनजीओ के माध्यम से रबड़ के फर्जी कारोबार के नाम पर हरियाणा, कोलकाता और दिल्ली स्थित विभिन्न संस्थाओं को 200 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि अंतरित की गई।’
ईडी के अनुसार, चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा विभिन्न राज्यों में त्रिपुरा में दिखाया गया रबड़ का कारोबार फर्जी पाया गया, क्योंकि रबड़ की बिक्री या खरीद केवल कागजों पर ही दर्शाई गई थी।
भाषा आशीष अविनाश
अविनाश

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