अंडों का सेवन सुरक्षित, कैंसर संबंधी खतरे के दावे निराधार : एफएसएसएआई

अंडों का सेवन सुरक्षित, कैंसर संबंधी खतरे के दावे निराधार : एफएसएसएआई

अंडों का सेवन सुरक्षित, कैंसर संबंधी खतरे के दावे निराधार : एफएसएसएआई
Modified Date: December 20, 2025 / 05:13 pm IST
Published Date: December 20, 2025 5:13 pm IST

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने अंडों को कैंसर के खतरे से जोड़ने वाले हालिया दावों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए इन्हें ‘‘भ्रामक, वैज्ञानिक रूप से निराधार और अनावश्यक भय पैदा करने वाला’’ बताया है।

शनिवार को जारी एक बयान में, खाद्य सुरक्षा नियामक ने स्पष्ट किया कि देश में उपलब्ध अंडे मनुष्य के सेवन के लिए सुरक्षित हैं और अंडों में कैंसरकारी पदार्थों की उपस्थिति के दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

यह स्पष्टीकरण मीडिया में आईं खबरों और उन सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में आया है जिनमें दावा किया गया था कि भारत में बेचे जाने वाले अंडों में ‘नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स’ (एओजेड) पाया गया है, जो ऐसा पदार्थ है जिसका कथित तौर पर कैंसर से संबंध है।

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एफएसएसएआई के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि खाद्य सुरक्षा और मानक (संदूषक, विषैले पदार्थ और अवशेष) विनियम, 2011 के तहत मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन के सभी चरणों में ‘नाइट्रोफ्यूरान’ का उपयोग सख्ती से प्रतिबंधित है।

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अधिकतम अवशेष सीमा (ईएमआरएल) से नीचे के सूक्ष्म अवशेषों का पता चलना खाद्य सुरक्षा का उल्लंघन नहीं है और न ही इससे किसी प्रकार का स्वास्थ्य जोखिम होता है।’’

प्राधिकरण ने उल्लेख किया कि विभिन्न देशों में संख्यात्मक मानकों में अंतर उपभोक्ता सुरक्षा मानकों में अंतर को नहीं, बल्कि विश्लेषणात्मक और नियामक दृष्टिकोणों में भिन्नता को दर्शाता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर, एफएसएसएआई ने वैज्ञानिक प्रमाणों का हवाला देते हुए कहा कि ‘नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स’ के सूक्ष्म स्तर के आहार संबंधी संपर्क और मनुष्यों में कैंसर या अन्य प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों के बीच कोई स्थापित संबंध नहीं है।

नियामक ने कहा, ‘‘किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अंडे के सामान्य सेवन को कैंसर के बढ़ते खतरे से नहीं जोड़ा है।’’

मामले में एक विशिष्ट ब्रांड के अंडे के परीक्षण से संबंधित रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस तरह की चीजें छिटपुट और ‘बैच-विशिष्ट’ हैं, जो अक्सर अनजाने संदूषण या फ़ीड-संबंधित कारकों के कारण होती हैं, और देश में अंडे की समग्र आपूर्ति श्रृंखला का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।

बयान में कहा गया, ‘‘प्रयोगशाला में सामने आए कुछ इक्का-दुक्का निष्कर्षों के आधार पर अंडों को असुरक्षित करार देना वैज्ञानिक रूप से गलत है।’’

एफएसएसएआई ने उपभोक्ताओं से सत्यापित वैज्ञानिक प्रमाणों और आधिकारिक परामर्शों पर भरोसा करने का आग्रह किया तथा दोहराया कि खाद्य सुरक्षा नियमों के अनुपालन में उत्पादित और उपभोग किए जाने पर अंडे एक सुरक्षित, पौष्टिक और संतुलित आहार का मूल्यवान घटक बने हुए हैं।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव


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