Weather Update: मानसून पर पड़ेगा ‘अल नीनो’ का प्रभाव, कम हो सकती है इस साल बारिश, विशेषज्ञों ने जताई ​चिंता

‘‘ला नीना’’ साल के बाद ‘‘अल नीनो’’ के कारण बारिश में कमी हो सकती है : विशेषज्ञ 'El Nino' could lead to loss of rainfall after 'La Nina' year: Experts

Weather Update: मानसून पर पड़ेगा ‘अल नीनो’ का प्रभाव, कम हो सकती है इस साल बारिश, विशेषज्ञों ने जताई ​चिंता

'El Nino' could lead to loss of rainfall

Modified Date: April 12, 2023 / 05:12 pm IST
Published Date: April 12, 2023 4:33 pm IST

‘El Nino’ could lead to loss of rainfall: नयी दिल्ली, 12 अप्रैल। भारत में मॉनसून के सामान्य रहने के भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुमान के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि ‘‘ला नीना’’ के बाद ‘‘अल नीनो’’ साल में बारिश में खासी कमी होती है। लगातार तीन बार ‘ला नीना’ के प्रभाव के बाद इस साल ‘‘अल नीनो’’ की स्थिति बनेगी। ‘‘ला नीना’’ की स्थिति ‘‘अल नीनो’’ से विपरीत होती है। ‘‘ला नीना’’ स्थिति के दौरान आमतौर पर मॉनसून के मौसम में अच्छी बारिश होती है।

आईएमडी ने मंगलवार को अपने अनुमान में कहा था कि ‘अल नीनो’ की स्थिति बनने के बावजूद भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति से कृषि क्षेत्र को खासी राहत मिलेगी। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी ‘स्काईमेट वेदर’ ने मॉनसून के दौरान देश में ‘‘सामान्य से कम’’ बारिश होने का अनुमान जताया है।

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‘‘अल नीनो’’ साल में जून-सितंबर के दौरान ‘सामान्य से कम’ बारिश

आईआईटी बंबई और मैरीलैंड विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा था कि 60 प्रतिशत ‘‘अल नीनो’’ साल में जून-सितंबर के दौरान ‘सामान्य से कम’ बारिश दर्ज की गई है लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि ‘ला नीना’ साल के बाद आने वाले ‘अल नीनो’ साल में मॉनसून के दौरान बारिश की कमी की प्रवृत्ति रहती है।

आईएमडी के अनुसार ‘‘अल नीनो’’ की स्थिति के जुलाई के आसपास विकसित होने की उम्मीद है और इसका प्रभाव मॉनसूनी मौसम के दूसरे हिस्से में महसूस किया जा सकता है।

आईएमडी ने कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) की स्थिति उत्पन्न होने की उम्मीद है और उत्तरी गोलार्ध तथा यूरेशिया पर बर्फ का आवरण भी दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक सामान्य से कम था।

आईओडी को अफ्रीका के पास हिंद महासागर के पश्चिमी भागों और इंडोनेशिया के पास महासागर के पूर्वी भागों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर से परिभाषित किया गया है। एक सकारात्मक आईओडी भारतीय मॉनसून के लिए अच्छा माना जाता है।

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इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक अंजल प्रकाश ने कहा कि 40 प्रतिशत ‘‘अल नीनो’’ वर्षों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 60 प्रतिशत साल में कम बारिश दर्ज की गई है। उन्होंने सवाल किया, ‘हम उन बड़े रुझानों को समझने के बजाय छोटे मूल्यों पर क्यों गौर करते हैं जो दिखाते हैं कि अल नीनो का मॉनसून की बारिश की पद्धति (पैटर्न) पर प्रभाव पड़ता है।’

वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत

भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत इसी पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में जल के भंडारण के लिए भी जरूरी है। देश के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है, जिससे यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

आईएमडी के मुताबिक, 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच 50 साल के औसत 87 सेमी की बारिश को ‘सामान्य’ माना जाता है। दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 प्रतिशत से कम वर्षा को ‘कमी’, 90 से 95 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से कम’, 105 से 110 प्रतिशत के बीच ‘सामान्य से अधिक’ और 100 प्रतिशत से अधिक वर्षा को ‘अधिक’ वर्षा माना जाता है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com