Right to health bill rajasthan: (जयपुर) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा द्वारा पारित चार विधेयकों को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी जिनमें ‘राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक’ भी शामिल है। राजभवन की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्यपाल मिश्र ने विधानसभा द्वारा पारित चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है, “राज्यपाल ने राज्य विधानसभा द्वारा 21 मार्च को पारित राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक 2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।”
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बयान के मुताबिक, इसी तरह राज्य विधानसभा से 20 मार्च को पारित “राजस्थान नगर पालिका संशोधन विधेयक 2023”, “बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय, जयपुर विधेयक 2023” तथा “राजस्थान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (स्थापन और प्रवर्तन का सुकरीकरण) (संशोधन) विधेयक 2023” को भी मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
Right to health bill rajasthan: वहीं मिश्र ने राज्य विधानसभा द्वारा 21 मार्च 2023 को पारित “राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023” को राष्ट्रपति के पास भेजा है। बयान में कहा गया है, “चूंकि विधानसभा द्वारा पारित इस विधेयक पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के उपबंध लागू होते हैं, इसलिए इसे विचार के लिए राष्ट्रपति को भेजा गया है।”
राजस्थान सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल लागू करने के लिए जो मसौदा तैयार किया गया हैं उसे जनता के लिए हितकारी बताया गया हैं। इस तरह बिल के लागू होते ही मरीजों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा। उपचार का कानूनी अधिकार मिलने से जनता को यह फायदे होंगे।।
• मरीजों को निजी हॉस्पीटल में भी आपातकालीन स्थिति में निशुल्क इलाज मिल सकेगा।
• बिल के नियम के तहत आउट डोर पेशेंट्स (OPD), इनडोर भर्ती पेशेंट्स, डॉक्टर को दिखाना और परामर्श, दवाइयां, डायग्नोसिस, इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन यानी एम्बुलेंस सुविधा, प्रोसीजर और सर्विसेज, इमरजेंसी ट्रीटमेंट मिलेगा।
• प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस सरकार अपने स्तर पर करवाएगी।
• अब डॉक्टरों द्वारा दिए जा रहे इलाज की जानकारी मरीज और उसके परिजन ले सकेंगे।
• फीस या चार्ज के एडवांस पेमेंट के बिना इमरजेंसी कंडीशन के दौरान बिना देरी किए प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जरूरी इमरजेंसी ट्रीटमेंट फैसिलिटी और इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी डिलेवरी और ट्रीटमेंट देंगे।
• कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर केवल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा।
• किसी भी तरह की महामारी के दौरान होने वाले रोगों के इलाज को इसमें शामिल किया गया है।
• इलाज के दौरान यदि मरीज की अस्पताल में मौत हो जाती है और अस्पताल में इलाज का भुगतान नहीं होता है तब भी डेड बॉडी को अस्पताल रोक नहीं सकेंगे।
• किसी मरीज को गंभीर स्थिति में दूसरे हॉस्पीटल में रैफर करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी।
• सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।
• किसी मेल वर्कर की ओर से महिला पेशेंट के फिजिकल टेस्ट के दौरान महिला की उपस्थिति जरूरी होगी।
• उपलब्ध ऑप्शनल ट्रीटमेंट मेथड का सलेक्शन मरीज कर सकेगा।
• हर तरह की सर्विस और फैसिलिटी की रेट और टैक्स के बारे में सूचना पाने का हक मिलेगा।
• निजी अस्पतालों को भी मरीज की बीमारी को गोपनीय रखना होगा।
• इसके अलावा इंश्योरेंस स्कीम में चयनित अस्पतालों में निशुल्क उपचार का अधिकार होगा।
• रोड एक्सीडेंट्स में फ्री ट्रांसपोर्टेशन, फ्री ट्रीटमेंट और फ्री इंश्योरेंस कवर इस्तेमाल होगा।
• कोई व्यक्ति एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है तो पहली बार 10 हजार और दूसरी बार 25 हजार का जुर्माना देना होगा।
• इस बिल में मरीज और उनके परिजनों को लेकर भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ मरीज या उसके परिजन दुर्व्यवहार नहीं करेंगे। साथ ही अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम करने की अनुमति देनी होगी।
खबर शिक्षा मंत्रालय प्रधान सीबीएसई
50 mins ago