‘निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है’: राज्यसभा में बोले कांग्रेस सांसद अजय माकन

‘निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है’: राज्यसभा में बोले कांग्रेस सांसद अजय माकन

‘निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है’: राज्यसभा में बोले कांग्रेस सांसद अजय माकन
Modified Date: December 11, 2025 / 05:49 pm IST
Published Date: December 11, 2025 5:49 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अजय माकन ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग “सरकार की कठपुतली बन गया है।’’ साथ ही उन्होंने सवाल किया कि समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता के बिना लोकतंत्र कैसे जीवित रह सकता है।

राज्यसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए माकन ने कहा कि भारत भले ही खुद को लोकतंत्र की जननी कहता हो, लेकिन देश में निष्पक्ष चुनाव के तीन बुनियादी तत्व — समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता — को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग मशीन-द्वारा पढ़े जा सकने योग्य मतदाता सूची देने से इनकार कर रहा है, आईपी एड्रेस छिपा रहा है और 45 दिन के भीतर सबूत नष्ट कर देता है। माकन ने कहा, “आज निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है।”

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उन्होंने कहा कि आयोग का काम ‘विश्वास’ पैदा करना होता है, लेकिन आज उसका काम ‘संदेह’ बढ़ाना बन गया है। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़े नतीजों के दिन अचानक बढ़ गए, जबकि दो दिन पहले जारी सूचना में यह कम थे। आयोग से पूछने पर वह चुप रहा कि अतिरिक्त वोट कहां से आए।

माकन ने कहा कि पारदर्शिता के मामले में भी स्थिति साफ नहीं है। हरियाणा में चुनाव हुए और पांच अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने देर रात आंकड़ा जारी कर कहा कि 61.19 फीसदी मतदान हुआ जो छह अक्टूबर को बढ़ कर 65.65 फीसदी और मतगणना में यह 68 फीसदी हो जाता है।

उन्होंने कहा कि मत प्रतिशत का सात फीसदी बढ़ना क्या चौंकाने वाली बात नहीं है।

कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में फर्जी आवेदन फार्म मामले की जांच कर रही सीआईडी को भी आयोग द्वारा फॉर्म जमा करने वाले कंप्यूटरों के आईपी एड्रेस और पोर्ट नंबर न देने का आरोप उन्होंने लगाया।

उन्होंने कर्नाटक के अलंग विधानसभा क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वहां दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 तक छह हजार 18 मतदाताओं के नाम हटाने की बात की जाती है और शिकायत होने पर सीआईडी ने जांच की तो पता चला कि 5994 आवेदन जाली हैं।

माकन ने कहा कि निर्वाचन आयोग से जब इन आवेदनों के बारे में ब्यौरा मांगा गया तो कोई जवाब नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को अपनी विश्वसनीयता बनानी होगी।

उन्होंने कहा कि अंपायर ही अगर मैच फिक्स कर लेगा तो क्या होगा? उन्होंने दावा किया कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का अपने लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है।

माकन ने वित्तीय असमानता पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 2004 से 2024 के बीच भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक क्षमता में भारी असमानता पैदा हो गई है। उनके अनुसार, 2004 में भाजपा का बैंक बैलेंस 87.96 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 10,107.2 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं कांग्रेस का बैलेंस 38.48 करोड़ रुपये से केवल 133.97 करोड़ रुपये हुआ।

माकन ने कहा कि वह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी हैं और पिछले दो-तीन साल से कांग्रेस पार्टी का हिसाब यानी आय-व्यय का ब्यौरा वह देते हैं तथा दूसरे दलों का हिसाब भी निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर देखते हैं।

उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस और भाजपा के आय-व्यय के ब्यौरे का अनुपात 60:40 का था लेकिन 2019 में यह अनुपात चौंकाते हुए पूरी तरह बदल गया। उन्होंने कहा कि अनुपात 8:92 हो गया और भाजपा की आय में 11 फीसदी की वृद्धि हुई तथा यह सिलसिला आगे भी जारी है। ‘‘यह कैसा समान अवसर है सबके लिए?’’

माकन ने कहा कि 2024 के चुनाव की घोषणा 16 मार्च को हुई लेकिन एक माह पहले 13 फरवरी को कांग्रेस के खाते सील हो गए। उन्होंने कहा कि आयोग से पूछने पर जवाब नहीं मिला और आयकर विभाग ने कांग्रेस को 210 करोड़ रुपये का नोटिस दिया। उन्होंने कहा ‘‘हमारे बैंक अकाउंट से 133 करोड़ रुपये का आयकर काट लिया गया और फिर 23 मार्च को हमारे खाते खुले। प्रमुख विपक्षी दल कैसे चुनाव की तैयारी करेगा?’’

उन्होंने कहा कि सरकार को हर पक्ष पर ध्यान देना है लेकिन उसका एक काम लोकतंत्र की रक्षा करना भी होता है जिसमें वह पूरी तरह विफल रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ईडी और आयकर विभाग का इस्तेमाल कांग्रेस को चुनावों से पहले धनविहीन करने के लिए कर रही है, और उद्योगपतियों को कांग्रेस को चंदा देने से रोक रही है। माकन ने दावा किया कि बड़े उद्योगपति अब 95:5 के अनुपात में भी कांग्रेस को चंदा देने से डरते हैं, क्योंकि “जैसे ही वे ऐसा करेंगे, ईडी और आईटी पीछे पड़ जाएंगे”।

उन्होंने पूछा कि ऐसी स्थिति में लोकतंत्र कैसे बच सकता है, जब सत्तारूढ़ पार्टी के पास विपक्ष की तुलना में 75 गुना अधिक धन हो।

माकन ने कहा कि जीवंत लोकतंत्र में तीन बुनियादी शर्तें…. सबके लिए समान अवसर, पारदर्शिता और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण होती हैं। उन्होंने दावा किया कि तीनों बातों के संदर्भ में राजग सरकार मानकों पर खरी नहीं उतरती।

भाषा मनीषा माधव

माधव


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