नीति निर्धारण में बाहरी जलवायु जोखिम रैंकिंग को नहीं माना जाता : सरकार

नीति निर्धारण में बाहरी जलवायु जोखिम रैंकिंग को नहीं माना जाता : सरकार

नीति निर्धारण में बाहरी जलवायु जोखिम रैंकिंग को नहीं माना जाता : सरकार
Modified Date: December 11, 2025 / 03:03 pm IST
Published Date: December 11, 2025 3:03 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि भले ही वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक में भारत नौवें स्थान पर है, लेकिन इसे घरेलू नीति निर्माण के लिए आधार के रूप में मान्यता नहीं दी जाती।

वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक देशों को चरम मौसम के मानव और आर्थिक नुकसान के आधार पर रैंकिंग देता है।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के जवाब में पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि चरम मौसम से होने वाले आर्थिक नुकसान के आंकड़े काफी भिन्न होते हैं और कुल नुकसान में केवल जलवायु घटक को अलग करना चुनौतीपूर्ण है।

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पर्यावरण थिंक टैंक ‘जर्मनवाच’ द्वारा प्रकाशित जलवायु जोखिम सूचकांक (सीआरआई) 2026 के अनुसार, पिछले तीन दशकों में भारत में चरम मौसम की लगभग 430 घटनाओं में 80,000 से अधिक लोग मारे गए, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर सबसे प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर आया।

सिंह ने कहा कि भारत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति के माध्यम से इन घटनाओं के प्रभाव को संबोधित करता है, जिसका उद्देश्य “सुरक्षित और आपदा-प्रतिरोधी भारत” बनाना है। यह नीति समग्र, सक्रिय, बहु-आपदा केंद्रित और प्रौद्योगिकी-आधारित रणनीति पर आधारित है।

सिंह के अनुसार, इस नीति में संस्थागत, कानूनी और वित्तीय व्यवस्थाएं, रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, राहत, पुनर्वास, पुनर्निर्माण और पुनर्प्राप्ति शामिल हैं।

भाषा मनीषा अविनाश

अविनाश


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